Sunday 20 September 2020

आत्मनिर्भता


सरकार; आप समझते हो उतना आसान तो नहीं                    
काम से बे-काम होकर आत्मनिर्भर होना आसाँ तो नहीं  
हम आदमीयों का सिर्फ आत्मनिर्भर होना
पेट में धंस रही आँतड़ियों को ओर अंदर तक धकेलना हो सकता है
आत्मनिर्भरता यानी आलोचनाओं का मर जाना हो सकता है
आलोचनाओं का मरना यानी 
लोकार्पण के समय अवसाद से भर जाना हो सकता है
जब अवसाद एकांत का परिणाम है
तो हमें किस दिशा की ओर बढ़ना है, सरकार?
किसी का साथ छोड़ देने से आत्मनिर्भता नहीं आती
सभी का साथ ही इसकी प्रयोगशाला है
सरकारें अपने मुद्दे 
आत्मनिर्भरता की मुर्दा
खिड़की पर लगे कफ़न जैसे पर्दे से ढंक दे
हम नागरिक जो कुछ काम के थे
बेक़ाम होकर -
हमारा पसीना जो त्वचा के गहरे में नमक बन चुका है
इसी कफ़न से पोंछने का अभिनय करेंगे
अभी हमें मात्र चहरे से खुश रहना सिखाया जाए
अभी हम चहरे से और मन से एक हैं
ये आप के लिए खतरा है।
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