दिल जो जलेगा जिन्दगी भर
इच्छाएं रह जाएगी आँखों में
खून खोलेगा मजबूरियों पर
दर्द में होगा बदन, और
होकर वास्तविकता से रूबरू
होगा इस सफर का अंत.
मगर देखेंगे कुछ लालची लोग
सदियों बाद कि
कोनसा खजाना दफन है यहाँ
मिलेगा उनको उनका भविष्य
मिलेंगी अस्थियाँ मेरी
बिना दिल के
बिन आँखों की
बगैर खून के
खोखलेपन के साथ
सोचेंगे, कोई इंसान रहा होगा कभी
मौजूदा हालात में जो हैवान है.
इच्छाएं रह जाएगी आँखों में
गूगल इमेज से प्राप्त |
दर्द में होगा बदन, और
होकर वास्तविकता से रूबरू
होगा इस सफर का अंत.
मगर देखेंगे कुछ लालची लोग
सदियों बाद कि
कोनसा खजाना दफन है यहाँ
मिलेगा उनको उनका भविष्य
मिलेंगी अस्थियाँ मेरी
बिना दिल के
बिन आँखों की
बगैर खून के
खोखलेपन के साथ
सोचेंगे, कोई इंसान रहा होगा कभी
मौजूदा हालात में जो हैवान है.
आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" सोमवार 24 अक्टूबर 2016 को लिंक की गई है.... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
ReplyDeleteआपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि- आपकी इस प्रविष्टि के लिंक की चर्चा कल सोमवार (24-10-2016) के चर्चा मंच "हारती रही हर युग में सीता" (चर्चा अंक-2505) पर भी होगी!
ReplyDeleteहार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
सुन्दर ।
ReplyDeleteबहुत ख़ूब...कितने गहरे भाव हैं आपकी इस कविता में
ReplyDeleteअनुभूति की सच्ची अभिव्यक्ति !
ReplyDeleteइस हकीकत को समझ लें तो कुछ नहीं रह जायेगा ...
ReplyDeleteधन्यवाद
ReplyDeleteबहुत सुन्दर रचना
ReplyDeleteशुभ दीपावली !
सुन्दर रचना
ReplyDeleteअच्छा लगा आज आपको देख कर
ReplyDeleteपर ब्लॉग में आप नहीं है
आइए...हमें उम्दा रचनाओं से वंचित न कीजिए
सादर
इंसान के भीतर ही तो है प्रेम से भरा दिल..स्वप्नों से सजी आँखें, कुछ करने का जज्बा लिए रगों में दौड़ता रक्त और भुजाओं में हिम्मत..वही तो हँसते-हँसते देश के नाम फांसी के तख्ते पर चढ़ जाता है..ऐसा इन्सान हैवान तो नहीं हो सकता...यदि वह खुद को भीतर झांक के देख ले..
ReplyDelete