Thursday 13 July 2023

अभी तक

मैं उजले दिन में चलने का अभ्यस्त  
उस शिखर दोपहर को ऐसा पहली बार देखा
न अँधेरा हुआ न ही धुप रही  
जिस दोपहर उस तपते चौराहे पर 
हमने आधा एक घंटे में तमाम बातों को याद किया 
बिताये हुए पलों की बातें गर्म भाँप की तरह 
तन-मन को जलाती रही 
हमने मिलते रहने की झूठी कसमें न खाई  
दोनों से अलविदा कहने का अभिनय भी न हुआ 
तुम बस चली गयी.... नाक की सीध में 
तुमने आम आशिक की तरह मुड़कर नहीं देखा 
लेकिन मैं ओझल होने तक तकता रहा तुम्हें  
चौराहे की चारों राहों पर दौड़कर, घूम-घुमाकर  
तुमसे एक बार फिर से मिलने की 
अमर तमन्ना मन में लिए अब मैं  
उस शहर को जिसने हमें मिलवाया 
उस चौराहे को जहाँ हम अंतिम रूप से मिले 
नाक की सीध वाली सड़क को जो जिंदगी की दरिया का अंतिम चित्र बन गई 
उस उजले दिन को जो कभी न ढलेगा और न उदय होगा 
- कह न सका "अच्छा तो मैं चलता हूँ" 
इस बीच की स्थिति में अजर हो जाना 
हकीकत में नहीं होना और 
कफ़नों में लिपटी छोटी छोटी उम्मीदों का भार तक दूरियों में बँट जाना   
जीना-मरना भी ना होना 
अकेले बीच में ठहर जाना
रोज खालीपन के द्वारा ही निचोड़ा जाना                                                                           
गोखरू पर चलने जैसा दुःख दायक है।   
कहने को तो मैं चला भी आया हूँ 
यहाँ तुम से बहुत दूर 
लेकिन ये मेरा अंतिम रूप नहीं है,  
हारे हुए आशिक की तरह 
उन सब से अभी तक कह नहीं हुआ 
"अच्छा तो मैं चलता हूँ।"

                                                     




6 comments:

  1. जीवन यात्रा के कुछ मोड़ इतने घुमावदार होते हैं कि आगे बढ़ना बेहद कठिन लगने लगता है किंतु फिर भी अनवरत चलते रहना ही जीवित होने का प्रमाण है।
    बहुत दिनों के बाद आपकी लेखनी से निसृत भावपूर्ण अभिव्यक्ति भाई।
    सस्नेह।
    ---
    जी नमस्ते,
    आपकी लिखी रचना शुक्रवार १४ जुलाई २०२३ के लिए साझा की गयी है
    पांच लिंकों का आनंद पर...
    आप भी सादर आमंत्रित हैं।
    सादर
    धन्यवाद।

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  2. इस बीच की स्थिति में अजर हो जाना
    हकीकत में नहीं होना और
    कफ़नों में लिपटी छोटी छोटी उम्मीदों का भार तक दूरियों में बँट जाना
    जीना-मरना भी ना होना
    अकेले बीच में ठहर जाना
    जीना मरना भी ना होना... बहुत ही मार्मिक एवं गहन सृजन।

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  3. हृदयस्पर्शी सृजन!

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  4. दिल को छू देनी वाली कविता।

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  5. हर राह की मंजिल नहीं होती इसी तरह हर रिश्ते का भविष्य नहीं होता। भावनात्मक स्तर पर हर इंसान किसी ना किसी रूप में अधूरे रिश्तों की पीड़ा से गुजरता है।, विरह विगलित हृदय की मर्मांतक अभिव्यक्ति जो किसी अधूरी कहानी की साक्षी है।

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