तेरे बाद
ये शांत पते यूँ ही आँधियों में फड़फड़ाते रहेंगे
तेरे बाद
ये शांत नदी बरसात के दिनों यूँ ही शोर मचाती रहेगी
तेरे बाद
किसी कच्चे रस्ते की धूल सफ़ेद पोशाकों पर पड़ती रहेगी
ये शांत पते यूँ ही आँधियों में फड़फड़ाते रहेंगे
तेरे बाद
ये शांत नदी बरसात के दिनों यूँ ही शोर मचाती रहेगी
तेरे बाद
किसी कच्चे रस्ते की धूल सफ़ेद पोशाकों पर पड़ती रहेगी
तेरे बाद
गाँव के नुक्क्ड़ों पर ताश की बाजियां
चार लोगों की हथाइयाँ
भूख मारने को भिनभिनाते लोग
गाँव के नुक्क्ड़ों पर ताश की बाजियां
चार लोगों की हथाइयाँ
भूख मारने को भिनभिनाते लोग
गिले-शिकवों में यूँ ही बसती रहेगी बेबसी
कुछ भी तो न ठहरेगा
कुछ भी तो न ठहरेगा
मैं शांति के इस उद्धण्ड स्वभाव को कोसता हुआ
नदी के किनारे से उठ कर
मिटटी से सनी सफ़ेद पोशाक पहने
कच्चे रस्ते पर चल दूंगा
समाज के सारे दायरे तोड़ दूंगा
तेरे बाद...
तेरे बाद...
By- Rohit
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