आओ ना
बातें करें
कुछ इसकी
कुछ तेरे दिल की
खुल कर-
जैसे गहराई से
सच्चाई आती है,
कुछ इशारों में हो-
छुपम छुपाई सी बाते
जैसे मोहब्बत होती है।
हाँ
वही तो हो गयी है तुमसे
बेइंतहां
मुश्किल है जरा
बातों में बांधना-
दया के पात्र बने हैं
शब्दकोश यहां।
दुनियां के मेलों से दूर
मिलो कोई शाम और
जिसका साक्षी हो-
डूबता सूरज भी,
किरण पहली भी।
देखते रहें हम हमें
खोकर
कि दुनियां के शोरशराबे
हो जाये तब्दील सन्नाटों में
जो इस कदर असर करे
हमारे इश्क पर
तुम चुप रहो,मैं चुप रहूं।
by-
ROHIT
taken from Google image |
खोकर
ReplyDeleteकि दुनियां के शोरशराबे
हो जाये तब्दील सन्नाटों में
जो इस कदर असर करे
हमारे इश्क पर
तुम चुप रहो,मैं चुप रहूं। वाह बहुत सुंदर रचना 👌👌
इस चुप्पी में ही प्रेम मुखर होता है ... फिर हवा, वदियें आकाश बादल सब बोलते हैं ... बस प्रेम बोलते हैं ...
ReplyDeleteशब्दों की उन्मुक्त उड़ान है प्रेम जोइस रचना में बाखूबी है ... लाजवाब ...
कि दुनियां के शोरशराबे
ReplyDeleteहो जाये तब्दील सन्नाटों में
जो इस कदर असर करे
हमारे इश्क पर
बेहतरीन रचना आदरणीय
सादर
"दुनियां के शोरशराबे
ReplyDeleteहो जाये तब्दील सन्नाटों में
जो इस कदर असर करे
हमारे इश्क पर
तुम चुप रहो,मैं चुप रहूं।"
वाकई में खामोश निगाहें सब कुछ बयान करती हैं इश्क में , लाजवाब सृजन रोहिताश्व जी ।
प्रेम से परिपूर्ण बहुत ही सुंदर रचना, रोहितास जी।
ReplyDeleteआपकी लिखी रचना "साप्ताहिक मुखरित मौन में" शनिवार 13 अक्टूबर 2018 को साझा की गई है......... https://mannkepaankhi.blogspot.com/ पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
ReplyDeleteबेहद दिलकश, रुमानी एहसास लिये एक खूबसूरत रचना रोहित जी...👌
ReplyDeleteमेरी कुछ पंक्तियाँ आपकी रचना के लिए-
यादों की खुशबू से मन का बहकना
मुसकाते आँखों का जी भर के रोना
ख़्वाबों में चुपके से आ बैठे जब वो
तन्हा होकर भी फिर तन्हा न होना
वाह
Deleteमुस्काती आंखों का जी भर के रोना
वाह
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (13-10-2018) को "व्रत वाली दारू" (चर्चा अंक-3123) पर भी होगी।
ReplyDelete--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ...।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
वाह खूब लिखा आपने .....
ReplyDeleteवाह। आओ बात करें खुल कर ।
ReplyDeleteब्लॉग बुलेटिन की दिनांक 12/10/2018 की बुलेटिन, निन्यानबे का फेर - ब्लॉग बुलेटिन “ , में आप की पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
ReplyDeleteबहुत सुन्दर रचना ...
ReplyDeleteबहुत खूब रोहित जी
ReplyDeleteप्यार की गहरायी को क्या खूब बयां करती हैं ये नज़म -
कुछ इशारों में हो-
छुपम छुपाई सी बाते
जैसे मोहब्बत होती है।
क्या कहे बस एक अलग दुनिया मैं पहुंच जाता हूँ आपकी पढ़कर -
मुश्किल है जरा
बातों में बांधना-
दया के पात्र बने हैं
शब्दकोश यहां।
बस यही स्थिति हमारी भी हैं ,
बस वाह वाह के सिवा कुछ समझ नहीं आता ,
बहुत बहुत बधाई बहुत आभार
बहुत ख़ूब
ReplyDeleteबहुत खूब रोहित जी !!!!इस हद पार इश्क के सदके कुछ शब्द --
ReplyDeleteहद पार इश्क की क्या कहिये -
कब इसमें कोई बात हुई ?
मैं उनमे वो मुझमे उलझे
रुक सी कायनात गई
बिसरे सब जग के मेले थे
हम भीड़ में हुए अकेले थे
एक चेहरा था और हम थे
बस सुबह उगी और रात हुई
चढ़ा प्रीत रंग रूह डूबी
यूँ रंगों की बरसात हुई !!!!!!
आपके लेखन का मनमोहक रंग सराहनीय है | सस्नेह शुभकामनायें !!!
बहुत खूब रोहित जी ...नव वर्ष की ढेरों शुभकामनाये।
ReplyDeleteआओ ना
ReplyDeleteबातें करें
कुछ इसकी
कुछ तेरे दिल की
खुल कर-
वाह्ह्ह्ह्ह् ... अंदर की सोई रुमानियत को सहलाती और जगाती मखमली रचना ...पढ़ने वाले को बहकाने के लिए काफी है ...वाह्ह्ह्ह्ह्
वही तो हो गयी है तुमसे
ReplyDeleteबेइंतहां
मुश्किल है जरा
बातों में बांधना-
दया के पात्र बने हैं
शब्दकोश यहां....बहुत खूब रोहित जी
सुंदर सृजन 🙏
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