Friday, 12 October 2018

हद पार इश्क

आओ ना
बातें करें
कुछ इसकी 
कुछ तेरे दिल की 
खुल कर-
जैसे गहराई से
सच्चाई आती है,
कुछ इशारों में हो-
छुपम छुपाई सी बाते
जैसे मोहब्बत होती है।
हाँ
वही तो हो गयी है तुमसे
बेइंतहां
मुश्किल है जरा 
बातों में बांधना-
दया के पात्र बने हैं 
शब्दकोश यहां। 

दुनियां के मेलों से दूर
मिलो कोई शाम और 
जिसका साक्षी हो- 
डूबता सूरज भी,
 किरण पहली भी। 
देखते रहें हम हमें 
खोकर
कि दुनियां के शोरशराबे
हो जाये तब्दील सन्नाटों में
जो इस कदर असर करे
हमारे इश्क  पर
तुम चुप रहो,मैं चुप रहूं।

by- 
ROHIT
taken from Google image 


20 comments:

  1. खोकर
    कि दुनियां के शोरशराबे
    हो जाये तब्दील सन्नाटों में
    जो इस कदर असर करे
    हमारे इश्क पर
    तुम चुप रहो,मैं चुप रहूं। वाह बहुत सुंदर रचना 👌👌

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  2. इस चुप्पी में ही प्रेम मुखर होता है ... फिर हवा, वदियें आकाश बादल सब बोलते हैं ... बस प्रेम बोलते हैं ...
    शब्दों की उन्मुक्त उड़ान है प्रेम जोइस रचना में बाखूबी है ... लाजवाब ...

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  3. कि दुनियां के शोरशराबे
    हो जाये तब्दील सन्नाटों में
    जो इस कदर असर करे
    हमारे इश्क पर

    बेहतरीन रचना आदरणीय
    सादर

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  4. "दुनियां के शोरशराबे
    हो जाये तब्दील सन्नाटों में
    जो इस कदर असर करे
    हमारे इश्क पर
    तुम चुप रहो,मैं चुप रहूं।"
    वाकई में खामोश निगाहें सब कुछ बयान करती हैं इश्क में , लाजवाब सृजन रोहिताश्व जी ।

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  5. प्रेम से परिपूर्ण बहुत ही सुंदर रचना, रोहितास जी।

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  6. आपकी लिखी रचना "साप्ताहिक मुखरित मौन में" शनिवार 13 अक्टूबर 2018 को साझा की गई है......... https://mannkepaankhi.blogspot.com/ पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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  7. बेहद दिलकश, रुमानी एहसास लिये एक खूबसूरत रचना रोहित जी...👌

    मेरी कुछ पंक्तियाँ आपकी रचना के लिए-

    यादों की खुशबू से मन का बहकना
    मुसकाते आँखों का जी भर के रोना
    ख़्वाबों में चुपके से आ बैठे जब वो
    तन्हा होकर भी फिर तन्हा न होना

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    Replies
    1. वाह
      मुस्काती आंखों का जी भर के रोना
      वाह

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  8. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (13-10-2018) को "व्रत वाली दारू" (चर्चा अंक-3123) पर भी होगी।
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ...।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  9. वाह खूब लिखा आपने .....

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  10. वाह। आओ बात करें खुल कर ।

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  11. ब्लॉग बुलेटिन की दिनांक 12/10/2018 की बुलेटिन, निन्यानबे का फेर - ब्लॉग बुलेटिन “ , में आप की पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

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  12. बहुत सुन्दर रचना ...

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  13. बहुत खूब रोहित जी

    प्यार की गहरायी को क्या खूब बयां करती हैं ये नज़म -
    कुछ इशारों में हो-
    छुपम छुपाई सी बाते
    जैसे मोहब्बत होती है।

    क्या कहे बस एक अलग दुनिया मैं पहुंच जाता हूँ आपकी पढ़कर -
    मुश्किल है जरा
    बातों में बांधना-
    दया के पात्र बने हैं
    शब्दकोश यहां।

    बस यही स्थिति हमारी भी हैं ,
    बस वाह वाह के सिवा कुछ समझ नहीं आता ,
    बहुत बहुत बधाई बहुत आभार


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  14. बहुत खूब रोहित जी !!!!इस हद पार इश्क के सदके कुछ शब्द --

    हद पार इश्क की क्या कहिये -
    कब इसमें कोई बात हुई ?
    मैं उनमे वो मुझमे उलझे
    रुक सी कायनात गई
    बिसरे सब जग के मेले थे
    हम भीड़ में हुए अकेले थे
    एक चेहरा था और हम थे
    बस सुबह उगी और रात हुई
    चढ़ा प्रीत रंग रूह डूबी
    यूँ रंगों की बरसात हुई !!!!!!
    आपके लेखन का मनमोहक रंग सराहनीय है | सस्नेह शुभकामनायें !!!

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  15. बहुत खूब रोहित जी ...नव वर्ष की ढेरों शुभकामनाये।

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  16. आओ ना
    बातें करें
    कुछ इसकी
    कुछ तेरे दिल की
    खुल कर-
    वाह्ह्ह्ह्ह् ... अंदर की सोई रुमानियत को सहलाती और जगाती मखमली रचना ...पढ़ने वाले को बहकाने के लिए काफी है ...वाह्ह्ह्ह्ह्

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  17. वही तो हो गयी है तुमसे
    बेइंतहां
    मुश्किल है जरा
    बातों में बांधना-
    दया के पात्र बने हैं
    शब्दकोश यहां....बहुत खूब रोहित जी

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