सफेद जिंदगी
एक माँ अनेक रंगों की
एक इंतजार रंगीन हो जाने का
एक उतावलापन रंगों को जनने का.
मिलन हो उनसे तो पनपे-
वो रंग जो तितलियाँ
अपने पंखों में सजाये रखती है.
वो सिंदूरी
जो सूरज ढल आई शाम को
आसमाँ की गालों पर
हक से लगा देता है.
चाँदी सा रंग,महताब
जो स्याह शब को भी
बनाकर चाँदनी
मोहब्बत करता है.
आसमानी आसमां का
सागर में झलके हैं
जैसे रंग चढ़ा हो एक दूजे का.
वो खुदरंग भी
जो यहाँ लिखूं
अल्फ़ाज़ हू-ब-हू तुम-से
तो जमाना मुझे रंगसाज़ समझे.
आ.....।
by
-ROHIT
from google image
बेहतरीन रचना 👌
ReplyDeleteअब जमेगा रंग
ReplyDeleteउत्तम कृति
सादर
वाहहह.. बेहद ख़ूबसूरत..मन भा गयी आपकी रचना रोहित जी..👌👌
ReplyDeleteये पंक्तियाँ तो गज़ब है..
जो सूरज ढल आई शाम को
आसमाँ की गालों पर
हक से लगा देता है.
प्रकृति के कैनवास को अपने शब्दों तूलिका के सतलंगी भावों से सजा कर सुंदर सृजन। बधाई आपको।
बहुत ही सुन्दर और भावपूर्ण रचना
ReplyDeleteरंगों की सुंदर दास्ताँ..
ReplyDeleteजो यहाँ लिखूं
ReplyDeleteअल्फ़ाज़ हू-ब-हू तुम-से
तो जमाना मुझे रंगसाज़ समझे.
बहुत खूब रोहित जी। बहुत कुछ जो व्यक्त भी नहीं किआ जा सकता हैं। रंगीली शाम के ख्याल मैं क्या खूब रंग उकेरे हैं अपने। मज़ा आ गया साहब बहुत romantic हैं
भावपूर्ण प्रस्तुति के लिए बधाई।
ReplyDeleteसुन्दर रचना
ReplyDeleteकुदरत खूबसूरती को तराश दिया आपने रचना में .बहुत बढ़िया सृजन ।
ReplyDeleteजितनी ताऱीफ करूँ इस रचना की उतना काम है
ReplyDeleteवाह ! बहुत ही मादक मोहक रचना ! अति सुन्दर !
ReplyDeleteसुन्दर और भावपूर्ण रचना
ReplyDeleteजी नमस्ते,
ReplyDeleteआपकी लिखी रचना हमारे सोमवारीय विशेषांक १ अक्टूबर २०१८ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।
बहुत सुंदर सप्त रंगों से सजी चित आकर्षक रचना।
ReplyDeleteसुंदर भावों से रची सुंदर रचना
ReplyDeleteसुंदर सृजन।
ReplyDeleteचाँदी सा रंग,महताब
ReplyDeleteजो स्याह शब को भी
बनाकर चाँदनी
मोहब्बत करता है.
बेहतरीन,शानदार, लाजवाब...
वाह!!!
बहुत खूब
ReplyDelete
ReplyDeleteचाँदी सा रंग,महताब
जो स्याह शब को भी
बनाकर चाँदनी
मोहब्बत करता है.
अर्थ पूर्ण साकारात्मक सुंदर रचना
अतिसुन्दर
ReplyDeleteरंगसाज या रंगों का चितेरा ....
ReplyDeleteशब्दों के साथ जबरदस्त कारीगरी और लाजवाब रचना का सृजन ...
बहुत खूब ...
आसमानी आसमां का
ReplyDeleteसागर में झलके हैं
जैसे रंग चढ़ा हो एक दूजे का.भावपूर्ण रचना...
भावपूर्ण रचना...
ReplyDeleteतो ज़माना रंगसाज समझे
ReplyDeleteआ ...!
रूमानी पाठकों को गुदगुदाती और वाह कहने पर मजबूर करती रचना। बेशक़ उम्दा । वाह्ह्ह्ह्ह् .. बस वाह्ह्ह्ह्ह् ...
जो स्याह शब को भी
ReplyDeleteबनाकर चाँदनी
मोहब्बत करता है.
बहुत खूब रोहित जी