Friday 28 September 2018

रंगसाज़

सफेद जिंदगी
एक माँ अनेक रंगों की
एक इंतजार रंगीन हो जाने का
एक उतावलापन रंगों को जनने का.
मिलन हो उनसे तो पनपे-
वो रंग जो तितलियाँ
अपने पंखों में सजाये रखती है.
वो सिंदूरी
जो सूरज ढल आई शाम को
आसमाँ की गालों पर
हक से लगा देता है. 

चाँदी सा रंग,महताब
जो स्याह शब को भी
बनाकर चाँदनी
मोहब्बत करता है.

आसमानी आसमां का
सागर में झलके हैं
जैसे रंग चढ़ा हो एक दूजे का.

वो खुदरंग भी
जो यहाँ लिखूं
अल्फ़ाज़ हू-ब-हू तुम-से
तो जमाना मुझे रंगसाज़ समझे.
आ.....।

by 
-ROHIT
from google image 

25 comments:

  1. अब जमेगा रंग
    उत्तम कृति
    सादर

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  2. वाहहह.. बेहद ख़ूबसूरत..मन भा गयी आपकी रचना रोहित जी..👌👌
    ये पंक्तियाँ तो गज़ब है..
    जो सूरज ढल आई शाम को
    आसमाँ की गालों पर
    हक से लगा देता है.

    प्रकृति के कैनवास को अपने शब्दों तूलिका के सतलंगी भावों से सजा कर सुंदर सृजन। बधाई आपको।

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  3. बहुत ही सुन्दर और भावपूर्ण रचना

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  4. रंगों की सुंदर दास्ताँ..

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  5. जो यहाँ लिखूं
    अल्फ़ाज़ हू-ब-हू तुम-से
    तो जमाना मुझे रंगसाज़ समझे.

    बहुत खूब रोहित जी। बहुत कुछ जो व्यक्त भी नहीं किआ जा सकता हैं। रंगीली शाम के ख्याल मैं क्या खूब रंग उकेरे हैं अपने। मज़ा आ गया साहब बहुत romantic हैं

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  6. भावपूर्ण प्रस्तुति के लिए बधाई।

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  7. सुन्दर रचना

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  8. कुदरत खूबसूरती को तराश दिया आपने रचना में .बहुत बढ़िया सृजन ।

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  9. जितनी ताऱीफ करूँ इस रचना की उतना काम है

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  10. वाह ! बहुत ही मादक मोहक रचना ! अति सुन्दर !

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  11. सुन्दर और भावपूर्ण रचना

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  12. जी नमस्ते,
    आपकी लिखी रचना हमारे सोमवारीय विशेषांक १ अक्टूबर २०१८ के लिए साझा की गयी है
    पांच लिंकों का आनंद पर...
    आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।

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  13. बहुत सुंदर सप्त रंगों से सजी चित आकर्षक रचना।

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  14. सुंदर भावों से रची सुंदर रचना

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  15. सुंदर सृजन।

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  16. चाँदी सा रंग,महताब
    जो स्याह शब को भी
    बनाकर चाँदनी
    मोहब्बत करता है.
    बेहतरीन,शानदार, लाजवाब...
    वाह!!!

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  17. चाँदी सा रंग,महताब
    जो स्याह शब को भी
    बनाकर चाँदनी
    मोहब्बत करता है.

    अर्थ पूर्ण साकारात्मक सुंदर रचना

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  18. रंगसाज या रंगों का चितेरा ....
    शब्दों के साथ जबरदस्त कारीगरी और लाजवाब रचना का सृजन ...
    बहुत खूब ...

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  19. आसमानी आसमां का
    सागर में झलके हैं
    जैसे रंग चढ़ा हो एक दूजे का.भावपूर्ण रचना...

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  20. भावपूर्ण रचना...

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  21. तो ज़माना रंगसाज समझे
    आ ...!
    रूमानी पाठकों को गुदगुदाती और वाह कहने पर मजबूर करती रचना। बेशक़ उम्दा । वाह्ह्ह्ह्ह् .. बस वाह्ह्ह्ह्ह् ...

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  22. जो स्याह शब को भी
    बनाकर चाँदनी
    मोहब्बत करता है.
    बहुत खूब रोहित जी

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