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एक लिबास पहने दुनियां चल रही है
कहीं हमारी, कहीं तुम्हारी चल रही है
मैं बड़ा खौफज़दा हूँ इन दिनों उनसे
और उनकी ये जिम्मेदारी चल रही है
ठीक हो न जाएँ- खुश रहते हैं अब
दुआ मांगते हैं, दवाई चल रही है
हर बार की सियासत में यही होता है
चुप रहूँ मैं कि उनकी बारी चल रही है
खोकर भी उनको हम आराम से बैठे हैं
कोई लाचारी सी लाचारी चल रही है
सोचता हूँ उसके लिए रो कर देखा जाये
इश्क़ में इश्क से ईमानदारी चल रही है
आगे ओर रौनकें कमतर हैं, होश मदहोश है
दिल मुहल्ले में पिया जी की सवारी चल रही है.
- Rohit
- Rohit
बहुत सुंदर 👌👌
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल सोमवार (21-01-2019) को "पहन पीत परिधान" (चर्चा अंक-3223) पर भी होगी।
ReplyDelete--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
--
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक
बहुत ही सुन्दर आदरणीय
ReplyDeleteसादर
काफी दिनों के बाद। सुन्दर।
ReplyDeleteबहुत सुन्दर सृजन रोहित जी । कई दिनों के बात आपकी रचना पढ़ने को मिली ।
ReplyDeleteब्लॉग बुलेटिन की दिनांक 20/01/2019 की बुलेटिन, " भारत के 'जेम्स बॉन्ड' को ब्लॉग बुलेटिन का सलाम“ , में आप की पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
ReplyDeleteवाह्ह्ह... बहुत खूब लाज़वाब शानदार ग़ज़ल..रोहित जी..गुनगुनाती हुई ताज़गी भरी...हर शेर बहुत अच्छा है।
ReplyDeleteठीक हो न जाएँ- खुश रहते हैं अब
दुआ मांगते हैं, दवाई चल रही है
बहुत उम्दा..👌
बहुत दिनों बाद एक जानदार सृजन के साथ आगमन सुखद है। लिखते रहें...शुभकामनाएँ।
वाह !
ReplyDeleteआपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" मंगलवार 22 जनवरी 2019 को साझा की गई है......... http://halchalwith5links.blogspot.in/ पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
ReplyDeleteबहुत लाजवाब शेर बांधे हैं ...
ReplyDeleteदुआ माँगते हैं दवाई चल रही है ... ग़ज़ब की अभिव्यक्ति ...
बहुत उम्दा!!!
ReplyDeleteबेहतरीन रचना
ReplyDeleteदिले मुहल्ले में पिया जी की सवारी चल रही है.
ReplyDeleteवाह क्या बात हैं रोहित भाई,
बहुत दिनों बाद क़लम उठायी और कमाल लिख दिया।एक प्यारी सी नटखट ग़ज़ल पढ़कर आनंद आ गया।
सलाम।
हर बार की सियासत में यही होता है
ReplyDeleteचुप रहूँ मैं कि उनकी बारी चल रही है
बहुत सुन्दर रचना रोहित जी।
ठीक हो न जाएँ- खुश रहते हैं अब
ReplyDeleteदुआ मांगते हैं, दवाई चल रही है
बहुत ही लाजवाब गजल.....
वाह!!!!
ठीक हो न जाएँ- खुश रहते हैं अब
ReplyDeleteदुआ मांगते हैं, दवाई चल रही है
बहुत ही लाजवाब गजल.....
वाह!!!!
एक लिबास पहने दुनियां चल रही है
ReplyDeleteकहीं हमारी, कहीं तुम्हारी चल रही है
बहुत खूब ....आदरणीय
वाह बहुत सुन्दर अस्आर रोहित जी!
ReplyDeleteउम्दा सभी कुछ सार्थक सा कथन लिये बेहतरीन ।
बहुत सुंदर रचना, रोहितास जी।
ReplyDeleteवाह क्या बात
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर
ReplyDeleteठीक हो न जाएँ- खुश रहते हैं अब
ReplyDeleteदुआ मांगते हैं, दवाई चल रही है
सोचता हूँ उसके लिए रो कर देखा जाये
इश्क़ में इश्क से ईमानदारी चल रही है--
के साथ --
दिले मुहल्ले में पिया जी की सवारी चल रही है.
क्या बात है प्रिय रोहित जी -- कमाल और बेमिसाल पंक्तियाँ और अप्रितम भाव | सचमुच सराहना से परे लिखा आपने | एक अरसे के बाद बहुत ही उम्दा लेखन ले कर आये हैं आप | हार्दिक शुभकामनायें और बधाई |
उम्दा लेखन
ReplyDeleteवाह आदरणीय सर बहुत सुंदर रचना
ReplyDeleteकमाल के शेर 👌
खूबसूरत प्रस्तुति। मेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत है।
ReplyDeleteiwillrocknow.com
सभी शेर बहुत सुन्दर. बहुत खूब.
ReplyDeleteठीक हो न जाएँ- खुश रहते हैं अब
ReplyDeleteदुआ मांगते हैं, दवाई चल रही है
:)
:)
meri liye likh dii aapne ye lines
hmmm..vaise har kisi ka yahii haal he aajkal
achii gazahl baandhi he aapne....bahut naveenta he gazal me...acchaa pryog
bdhaayi
हर बार की सियासत में यही होता है
ReplyDeleteचुप रहूँ मैं कि उनकी बारी चल रही है
.........बहुत सुन्दर उम्दा