Sunday, 20 January 2019

ठीक हो न जाएँ

from गूगल image 


एक लिबास पहने दुनियां चल रही है
कहीं हमारी, कहीं तुम्हारी चल रही है

मैं बड़ा खौफज़दा हूँ इन दिनों उनसे
और उनकी ये जिम्मेदारी चल रही है

ठीक हो न जाएँ- खुश रहते हैं अब
दुआ मांगते हैं, दवाई चल रही  है

हर बार की सियासत में यही होता है
चुप रहूँ मैं कि उनकी बारी चल रही है

खोकर भी उनको हम आराम से बैठे हैं
कोई लाचारी सी लाचारी चल रही है

सोचता हूँ उसके लिए रो कर देखा जाये
इश्क़ में इश्क से ईमानदारी चल रही है

आगे ओर रौनकें कमतर हैं, होश मदहोश है
दिल मुहल्ले में पिया जी की सवारी चल रही है.

                                          - Rohit








28 comments:

  1. बहुत सुंदर 👌👌

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  2. आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल सोमवार (21-01-2019) को "पहन पीत परिधान" (चर्चा अंक-3223) पर भी होगी।
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक

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  3. बहुत ही सुन्दर आदरणीय
    सादर

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  4. काफी दिनों के बाद। सुन्दर।

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  5. बहुत सुन्दर सृजन रोहित जी । कई दिनों के बात आपकी रचना पढ़ने को मिली ।

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  6. ब्लॉग बुलेटिन की दिनांक 20/01/2019 की बुलेटिन, " भारत के 'जेम्स बॉन्ड' को ब्लॉग बुलेटिन का सलाम“ , में आप की पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

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  7. वाह्ह्ह... बहुत खूब लाज़वाब शानदार ग़ज़ल..रोहित जी..गुनगुनाती हुई ताज़गी भरी...हर शेर बहुत अच्छा है।

    ठीक हो न जाएँ- खुश रहते हैं अब
    दुआ मांगते हैं, दवाई चल रही है

    बहुत उम्दा..👌

    बहुत दिनों बाद एक जानदार सृजन के साथ आगमन सुखद है। लिखते रहें...शुभकामनाएँ।

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  8. आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" मंगलवार 22 जनवरी 2019 को साझा की गई है......... http://halchalwith5links.blogspot.in/ पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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  9. बहुत लाजवाब शेर बांधे हैं ...
    दुआ माँगते हैं दवाई चल रही है ... ग़ज़ब की अभिव्यक्ति ...

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  10. बेहतरीन रचना

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  11. दिले मुहल्ले में पिया जी की सवारी चल रही है.

    वाह क्या बात हैं रोहित भाई,
    बहुत दिनों बाद क़लम उठायी और कमाल लिख दिया।एक प्यारी सी नटखट ग़ज़ल पढ़कर आनंद आ गया।
    सलाम।

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  12. हर बार की सियासत में यही होता है
    चुप रहूँ मैं कि उनकी बारी चल रही है

    बहुत सुन्दर रचना रोहित जी।

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  13. ठीक हो न जाएँ- खुश रहते हैं अब
    दुआ मांगते हैं, दवाई चल रही है
    बहुत ही लाजवाब गजल.....
    वाह!!!!

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  14. ठीक हो न जाएँ- खुश रहते हैं अब
    दुआ मांगते हैं, दवाई चल रही है
    बहुत ही लाजवाब गजल.....
    वाह!!!!

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  15. एक लिबास पहने दुनियां चल रही है
    कहीं हमारी, कहीं तुम्हारी चल रही है

    बहुत खूब ....आदरणीय

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  16. वाह बहुत सुन्दर अस्आर रोहित जी!
    उम्दा सभी कुछ सार्थक सा कथन लिये बेहतरीन ।

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  17. बहुत सुंदर रचना, रोहितास जी।

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  18. वाह क्या बात

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  19. बहुत ही सुन्दर

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  20. ठीक हो न जाएँ- खुश रहते हैं अब

    दुआ मांगते हैं, दवाई चल रही है

    सोचता हूँ उसके लिए रो कर देखा जाये

    इश्क़ में इश्क से ईमानदारी चल रही है--

    के साथ --



    दिले मुहल्ले में पिया जी की सवारी चल रही है.

    क्या बात है प्रिय रोहित जी -- कमाल और बेमिसाल पंक्तियाँ और अप्रितम भाव | सचमुच सराहना से परे लिखा आपने | एक अरसे के बाद बहुत ही उम्दा लेखन ले कर आये हैं आप | हार्दिक शुभकामनायें और बधाई |

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  21. वाह आदरणीय सर बहुत सुंदर रचना
    कमाल के शेर 👌

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  22. खूबसूरत प्रस्तुति। मेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत है।
    iwillrocknow.com

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  23. सभी शेर बहुत सुन्दर. बहुत खूब.

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  24. ठीक हो न जाएँ- खुश रहते हैं अब
    दुआ मांगते हैं, दवाई चल रही है

    :)

    :)

    meri liye likh dii aapne ye lines


    hmmm..vaise har kisi ka yahii haal he aajkal


    achii gazahl baandhi he aapne....bahut naveenta he gazal me...acchaa pryog

    bdhaayi

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  25. हर बार की सियासत में यही होता है
    चुप रहूँ मैं कि उनकी बारी चल रही है

    .........बहुत सुन्दर उम्दा

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