वैसे तो कोई भी शख़्स का परिचय देना महज एक औपचारिकता है क्यूंकि वही शख़्स आने वाले वक्त में अपने कर्मों से पहचाना जायेगा।
इसी पर ग़ालिब सा'ब का एक शेर मुझे याद आता
पूछते हैं वो कि 'ग़ालिब' कौन है
जो थोड़ा अच्छा लिखते हैं और किसी मंच से बोलने का जिनको मौका नहीं मिलता उन के लिए ब्लॉग किसी वरदान से कम नहीं बेशर्ते उनको अच्छे पाठक व उनकी रचना पर सच्ची और आलोचनात्मक प्रतिक्रिया मिले। ब्लॉग जगत ने बहुत से अच्छे लेखकों को यूँ ही खो दिया क्योंकि या तो यहां उनको ये मशीनी लोग मिले या उनके पंख उस गति से ना फ़ैल पाए जिसकी उम्मीद वो करते थे. "मुझे ब्लॉग पर ज्यादा से ज्यादा लोग पढ़े" यही सोच लेकर एक साहित्य सृजनकर्ता ब्लॉग बनाता है मगर यहां नए ब्लॉगर को कोई फॉलो नहीं मिलता है ... मुझे नहीं लगता कि किसी को फॉलो करना आफ़त भरा काम है।
साहित्य को प्रेम करना एक साधारण सी बात है लेकिन उसी साहित्य को जीना एक अनोखी बात है। इसी अनोखी बात की वजह से मैं 'अश्विनी' को ब्लॉग पर लेकर आया. अभी वो साहित्य की जीवन रेखा में शैशवास्था पर हो सकता है मगर 'पूत के पैर पालने में नज़र आ जाते हैं'. अश्वनी को आप जब भी पढोगे कुछ तो नया जरूर पाओगे। इनकी लिखी पहली ही रचना की 2-4 पंक्तियाँ हैं कि
ऐसी बातें और ये अहसास आज तक कितने लोग लिख पाएं होंगे!!!
ब्लॉग पर काफी सालों की मेहनत से मैंने एक जिम्मेदार परिवार बनाया है उसी परिवार में एक कड़ी और जोड़ रहा हूँ. अब हमारा कर्तव्य बनता है कि हम एक समायोजित वातावरण बनाएं ताकि अश्विनी ही नहीं बल्कि हर एक नया ब्लॉगर इस कड़ी का दमदार हिस्सा बन सके.
अश्वनी के ब्लॉग का लिंक http://ashwinidhundharaofficial.blogspot.com/2019/09/blog-post_30.html
प्लीज् इनसे जुड़ें। आपके (अनुभवी सृजनकर्ता) आशीर्वाद और स्नेह की भूख हमेशा सताती है।
आभार।
इसी पर ग़ालिब सा'ब का एक शेर मुझे याद आता
पूछते हैं वो कि 'ग़ालिब' कौन है
कोई बतलाओ कि हम बतलाएँ क्या
ब्लॉग जगत पर यूँ तो बेइंतहा प्यार लुटाने व उत्साह बढ़ाने वालों से लबालब भरा पड़ा है। लेकिन कुछ दिनों से ब्लॉग जगत पर ऐसे लोगों से सम्पर्क में हूँ जो शायद मशीनी लोग है. हर दम एक'जैसे व्यवहार की वजह से ये लोग मेरे अंदर झुंझ पैदा करते हैं... ऐसे लोग कभी किसी की रचना नहीं पढ़ते और फिर भी प्रतिक्रिया देते हैं। यही मशीनी मानसिकता हमारे साहित्य को धर दबोच लेगी। इसे बदलना पड़ेगा।जो थोड़ा अच्छा लिखते हैं और किसी मंच से बोलने का जिनको मौका नहीं मिलता उन के लिए ब्लॉग किसी वरदान से कम नहीं बेशर्ते उनको अच्छे पाठक व उनकी रचना पर सच्ची और आलोचनात्मक प्रतिक्रिया मिले। ब्लॉग जगत ने बहुत से अच्छे लेखकों को यूँ ही खो दिया क्योंकि या तो यहां उनको ये मशीनी लोग मिले या उनके पंख उस गति से ना फ़ैल पाए जिसकी उम्मीद वो करते थे. "मुझे ब्लॉग पर ज्यादा से ज्यादा लोग पढ़े" यही सोच लेकर एक साहित्य सृजनकर्ता ब्लॉग बनाता है मगर यहां नए ब्लॉगर को कोई फॉलो नहीं मिलता है ... मुझे नहीं लगता कि किसी को फॉलो करना आफ़त भरा काम है।
साहित्य को प्रेम करना एक साधारण सी बात है लेकिन उसी साहित्य को जीना एक अनोखी बात है। इसी अनोखी बात की वजह से मैं 'अश्विनी' को ब्लॉग पर लेकर आया. अभी वो साहित्य की जीवन रेखा में शैशवास्था पर हो सकता है मगर 'पूत के पैर पालने में नज़र आ जाते हैं'. अश्वनी को आप जब भी पढोगे कुछ तो नया जरूर पाओगे। इनकी लिखी पहली ही रचना की 2-4 पंक्तियाँ हैं कि
किसी का वक़्त इतना अच्छा है कि वक़्त रोक लेना चाहता है,
और एक मैं जो इस वक़्त को रफ्तार देना चाहता हूं...
क्यूंकि शायद एक वक़्त के बाद ये दीवार मीट जाएगी,
जो आज मुझमे मिटाने की हिम्मत नहीं है.
ब्लॉग पर काफी सालों की मेहनत से मैंने एक जिम्मेदार परिवार बनाया है उसी परिवार में एक कड़ी और जोड़ रहा हूँ. अब हमारा कर्तव्य बनता है कि हम एक समायोजित वातावरण बनाएं ताकि अश्विनी ही नहीं बल्कि हर एक नया ब्लॉगर इस कड़ी का दमदार हिस्सा बन सके.
अश्वनी के ब्लॉग का लिंक http://ashwinidhundharaofficial.blogspot.com/2019/09/blog-post_30.html
प्लीज् इनसे जुड़ें। आपके (अनुभवी सृजनकर्ता) आशीर्वाद और स्नेह की भूख हमेशा सताती है।
आभार।
आपके इस अपार प्रेम और स्नेह के लिए में सादर आभारी हूं बड़े भाई ❤️
ReplyDeleteमुझे प्रोत्साहित करने के लिए आपका शुक्रिया 🙏
प्रिय रोहितास , नए ब्लॉगर अश्विनी को ब्लॉग जगत से परिचित करवाने के लिए हार्दिक आभार | जब युवा लोग साहित्य से जुड़ते हैं, तो उसके जीवित रहने और नये चिंतन से सम्पन्न होने की संभावनाएं बढ़ जाती हैं ब्लॉग जगत के बारे में आपका चिंतन अनुभवजन्य है |हो सकता है आपकी सारी बातें सही हो पर मैं ये कहना चाहती हूँ कि नये ब्लॉगर के लोगों से जुड़ने का मंच समाप्त हो गया है | गूगल प्लस के अवसान के बाद ये स्थिति पैदा हुई है , नहीं तो नये ब्लोग्गर्स को बहुत अच्छा रिस्पांस मिलता था | और निश्चित रूप से प्रिय अश्विनी को भी सब जरुर फालो करेंगे , पर थोड़ा समय लग सकता है | मैंने दोनों अकाउंट से फालो कर लिया है | आपको पुनः आभार और अश्विनी को हार्दिक शुभकामनायें |
ReplyDeleteरेणु जी आप बेहद कमाल हैं।
Deleteतहेदिल से आभार 🙏
नये ब्लागर अश्र्विनी जी का ब्लाग जगत में हार्दिक स्वागत, शुभकामनाएं हैं उनके लिए ढेर सी,
ReplyDeleteऔर एक सुझाव भी कि वो भी ज्यादा से ज्यादा ब्लाग पर जाएं मित्र बनाएं और सक्रिय शामिल होवें सभी ब्लागर उन्हें जरूर अपनाएंगे।
उनकी लिखी पंक्तियां बहुत सुंदर और सार्थक है।
जी नमस्ते,
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल सोमवार (07-10-2019) को " सनकी मंत्री " (चर्चा अंक- 3481) पर भी होगी।
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रवीन्द्र सिंह यादव
अश्विनी जी का हार्दिक स्वागत है।
ReplyDeleteअच्छा किया आपने ... एक अच्छी शुरुआत है ... अश्विन जी को जानना अच्छा लगा आपकी कलम से ... अच्छा लिखना और पढना सभी को अच्छा लगता है .. कुछ समय लगता है पर हीरा चमक कर सबको आकर्षित करता है ...
ReplyDeleteअच्छी शुरुआत नये ब्लागर अश्र्विनी की
ReplyDeleteमैं अपने रचनाकार होने का दावा कदापि नहीं करता किंतु किसी भी स्तर के लेखक या कवि होने के नाते पाठकों की संख्या को बढ़ाने के उद्देश्य मात्र से या संबंधित की अनुनय-विनय/आग्रह की प्रतिपूर्ति की औपचारिकता के मद्देनज़र उसके ब्लॉग का भ्रमण करना और बेदिली से बलात् झूठी प्रशंसात्मक टिप्पणियाँ करना यह मार्केटिंग ही हो सकती है......किंतु मुझे यह नहीं ही जमता....... और यही वज़्ह है कि इतने वर्षों के बाद भी मेरे फॉलोअर्स और पाठक नहीं बन सके......कोई दुख नहीं.......क्या यह दायित्व पाठकों का नहीं है.......हमारी रचनाओं में दम होगा तो खिंचे चले आएँगे वो......कविता विक्रय की वस्तु नहीं.......कवि सेल्समेन कैसे हो सकता है.......यह कुआँ है ; जिसे प्यास लगेगी आएगा...... यह अहंकार नहीं अपितु लज्जा है......मेरी इस विपरीत टिप्पणी से आहत होने वालों से मैं अपना खेद अग्रिम ही प्रकट रखूँगा ।
ReplyDelete-डॉ. हीरालाल प्रजापति
www.kavitavishv.com
आपसे कुछ-कुछ सहमत हूँ
Deleteअश्विनी का ब्लॉग जगत में स्वागत है। रोमांस या रोमांटिक होना बुरा नहीं है ! पर उसी में डूबे रहना शायद परवाज के लिए बाधक हो। लेखन का दायरा बढ़ाने और अन्य ब्लॉगों का भ्रमण कर उन पर अपने खुले विचार रखने से परिचय अपने आप पुख्ता होने लगेगा।
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