Thursday, 17 October 2019

लोग बोले है बुरा लगता है

जो अच्छी लगती, बुरा नहीं लगता
रूह से जा लगती, बुरा नहीं लगता

क्यों न हो तुझ में कोई खामी
मुझी से हो पुरी बुरा नहीं लगता

वहशत ना होती बाल नोचने तक
हिज़्र नहीं होती  बुरा नहीं लगता

कांरवा गुजर गया अपनी हद्द से
होता नज़र तो भी बुरा नहीं लगता

हनोज़ छाई चुपी है, दुरी है बहुत
होती दो टुक ही बुरा नहीं लगता

लोग बोले है बुरा लगता है, तुझे लगता
हाय! तू भी बोलती,  बुरा नहीं  लगता

मैंने पूर्व  के  बाद पश्चिम  ही  को  जिया  है
पापा ने जवानी भी दी होती बुरा नहीं लगता

एक वक्त हुआ मैं जुदा नहीं हुआ मुझ से
तू होती और बेल कराती  बुरा नहीं लगता

दम घुट रहा है  ऐसी  मोहब्बत  में
तोड़ जाती दम ही बुरा नहीं लगता.
                               
                                             -रोहित 

from google image 








25 comments:

  1. वहशत ना होती बाल नोचने तक
    हिज़्र नहीं होती बुरा नहीं लगता

    बेइंतहा मोहब्बत का हिज्र के बाद भी याद आना बहुत दर्द देता है

    बहुत सुन्दर, हृदयस्पर्शी रचना

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    1. Hshaha
      सीख ही ली ब्लॉगिया भाषा आखिर।

      🙏

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  2. आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज शुक्रवार 18 अक्टूबर 2019 को साझा की गई है......... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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    1. मेरी पोस्ट किसी भी मंच पर लगने लायक नहीं होती।

      मान सम्मान का आभारी हूँ

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  3. वाह क्या बात

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  4. जी नमस्ते,

    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (१८-१०-२०१९ ) को " व्याकुल पथिक की आत्मकथा " (चर्चा अंक- ३४९३ ) पर भी होगी।
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।

    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    आप भी सादर आमंत्रित है
    ….
    अनीता सैनी

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  5. कांरवा गुजर गया अपनी हद्द से
    होता नज़र तो भी बुरा नहीं लगता
    बहुत सुन्दर

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  6. क्यों न हो तुझ में कोई खामी
    मुझी से हो पुरी बुरा नहीं लगता ...,

    बहुत खूब...,
    बेहद खूबसूरत भावाभिव्यक्ति रोहित जी

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  7. सुंदर लेखन, मन के गमगीन प्रवाह....

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  8. "लोग बोले है बुरा लगता है, तुझे लगता
    हाय! तू भी बोलती, बुरा नहीं लगता"
    हृदय के भाव उकेरती रचना, बहुत बढ़िया !

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  9. कांरवा गुजर गया अपनी हद्द से
    होता नज़र तो भी बुरा नहीं लगता
    हृदय के भावों को बड़े खूबसूरती से व्यक्त किया है

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  10. वाह अनुपम भाव और शानदार सृजन के लिये बधाई आपको

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  11. गजब की भावाभिव्यक्ति,
    सच बेखुदी में इंसान फिर वहीं पहूंचता है,
    जहां से कारवां उठता है उसका
    फिर भी जुबां से लफ्ज़ निकलते हैं,
    हां अब किसी बात का बुरा नहीं लगता।

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  12. .. सुप्रभात रोहिताश जी अच्छी रचना भाव प्रवाह भी बहुत अच्छा है परंतु कहीं कहीं आपने उलझा दिया

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    1. अनु जी,
      आप ही जब उलझ जाएंगे तो हमारा क्या होगा?
      बड़प्पन सर आंखों पर। आभार।

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  13. बहुत सुंदर अभिव्यक्ति,रोहितास भाई।

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  14. This comment has been removed by the author.

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    1. मेरे विचार में मेरी रचना सही मायने में तब अच्छी होती हैं जब पढ़ने वाला। .. उसे पढ़ कर कुछ सोचे  ... आपके कमेंट से साफ़दिखता  हे आप अपनी सोच  लिए बैठें कुछ देर मेरी रचना के साथ 
      बहुत ही स्नेहिल शब्दों के लिए आभार साथ बनाये रखे 
      ********************************************************************************************************************वहशत ना होती बाल नोचने तक
      हिज़्र नहीं होती बुरा नहीं लगता

      bahut bdhiya

      एक वक्त हुआ मैं जुदा नहीं हुआ मुझ से
      तू होती और बेल कराती बुरा नहीं लगता

      आहा। .. बड़ी रोचक रचना घुमावदार मगर इक आहंग लिए। .. बहुत बढ़िया सच में  

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  15. भाव प्रबल अभिव्यक्ति .

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  16. एक वक्त हुआ मैं जुदा नहीं हुआ मुझ से
    तू होती और बेल कराती बुरा नहीं लगता
    दम घुट रहा है ऐसी मोहब्बत में
    तोड़ जाती दम ही बुरा नहीं लगता.
    नए मिजाज़ के शेर और तेवर !!!!!!!!सराहनीय रचना के लिए शुभकामनायें |

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  17. लोग बोले है बुरा लगता है, तुझे लगता
    हाय! तू भी बोलती, बुरा नहीं लगता

    वाह!
    क्या बात !!!

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