पल भर की हसीं बातों से ये दिल प्यार में जलने लगा
आ जाओ ना पास पल-पल यूँ दिल जलाते हो क्यों
अपनी नजरों से बांध कर मुझे
मेरी ही नज़रों में अकेला छोड़ते हो क्यों
उसे ख्यालों,खवाबों व यादों में ही बसना था
अब मरना अच्छा है की इस तरह तड़फाते हो क्यों
दिल को पत्थर बना रखा था
फिर बातो में फूलों से झरते हो क्यों
प्यार करके अपना ही नुकसान करवाया मैने
पूछे कोई उनसे दिल के टुकड़ों को मजाक समझते हो क्यों
मेरी जिन्दगी की परवाह नही मुझे
पर मुझ जेसो को आवारा बनाते हो क्यों
दिल और आईने की फिदरत टूटते बिखरना है 'रोहित'
दोस्तों आईने से दिल को समझने में गलती करते हो क्यों |
आ जाओ ना पास पल-पल यूँ दिल जलाते हो क्यों
अपनी नजरों से बांध कर मुझे
मेरी ही नज़रों में अकेला छोड़ते हो क्यों
उसे ख्यालों,खवाबों व यादों में ही बसना था
अब मरना अच्छा है की इस तरह तड़फाते हो क्यों
दिल को पत्थर बना रखा था
फिर बातो में फूलों से झरते हो क्यों
प्यार करके अपना ही नुकसान करवाया मैने
पूछे कोई उनसे दिल के टुकड़ों को मजाक समझते हो क्यों
मेरी जिन्दगी की परवाह नही मुझे
पर मुझ जेसो को आवारा बनाते हो क्यों
दिल और आईने की फिदरत टूटते बिखरना है 'रोहित'
दोस्तों आईने से दिल को समझने में गलती करते हो क्यों |
सुन्दर भावों को बखूबी शब्द जिस खूबसूरती से तराशा है। काबिले तारीफ है।
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