Thursday, 17 November 2011

प्रेम तस्कर

मेरे दिल में उतर कर तो देखते
ऐसा मंजर कभी देखा नहीं होगा

कभी मेरी आँखों में झांक कर तो देखते
की सपनों में भी आंसुओं का सागर देखा नहीं होगा

अगर ख्वाबों में भी चले आये होते
की ऐसा हाल-ए-तरबतर कभी देखा नहीं होगा

लोट आओ अगर तो सांसों से बढकर प्यार करूँ
की ऐसा प्रेम अपार कभी देखा नहीं होगा

तुमसे एक काम है की इस प्रेम को अमर कर दो
मिलन ऐसा दुनिया में ज्यादातर कभी देखा नहीं होगा

अगर नहीं होता है ये सुकर तुमसे तो ए दोस्त 
ऐसा प्रेम का प्यासा खंजर कभी देखा नही होगा

प्रेम पुजारी बहुत देखें होंगे आपने 'रोहित'
पर ऐसा प्रेम तस्कर कही देखा नहीं होगा |

5 comments:

  1. पर ऐसा प्रेम तस्कर कही देखा नहीं होगा .
    वाह ! बहुत सुन्दर रचना | आमन्त्रण की बहुत अच्छी मनुहार है

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  2. waah ! aesa prem taskar kahi dekha nahi hoga ...khub !

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  3. रोहित भाई आपकी रचना ने लाजवाब कर दिया...बधाई स्वीकारें

    नीरज

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  4. dhanyavad, aap mere blog par aaye.aage bhi aapke vicharon ki pratiksha rahegee..

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  5. pyarbhati sundar bhavo se saji sundar rachana hai...

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