भाग्य लेकर ही जन्मा था मैं
इस भाग्य विधाता देश में
आज 21 वर्ष हो गए
मेरे भाग्य को आजमाते -आजमाते
ऐ मेरे भाग्य विधाता देश के लोगों
न जाने कितनी जिंदगियां
यूँ ही बित गयी
भाग्य आजमाते आजमाते
इस देश के लोगों का भाग्य
न जाने कब से
चंद सत्ताधारी लोग
निर्धारित करने लगे हैं।
सोये हुवे ईंसा का भाग्य
कभी चमका नही किसी देश में।
उठो और एकजुट हो जाओ
की कोई ओर चारा नहीं मेरे देश में
बदलना होगा इन नीतियों को
जड़ से उखाड़ना होगा इन लालची भेड़ियों को
उन भेड़ीयों को जिन्होंने
अपनी सात पुस्तों को असोआरम की जिन्दगी दे दी
और जनता को छोड़ दिया अपने हाल और भाग्य पर
घोटाले दर घोटाले करते जा रहे है
करोड़ों -अरबों रूपये देश के खाते जा रहे हैं।
2G, कोयला, कोमनवेल्थ,,,
राजा, कलमाड़ी खुर्शीद
वाड्रा करोड़ों डकार के खड़ा हैं
इन जेसे न जाने कितनो की पोल खुली है
फिर भी सरकार न जाने क्यूँ चुप खड़ी है
शरद पवार बड़ा खुश हैं
गेहूँ और चावल निर्यात की बात कर रहा है
कितना मुर्ख है वो
अरे खुद के देश में झाँक कर तो देख
कितने ही देशवाशी भूखे सोने को मजबूर
फूटपाथ पर नंगे ही पड़े है
इन सांसदों को अब
भुलाने-फुसलाने की आदत सी पड़ गयी
की जब भी मक्खियाँ भिन्न भिनाने लगे
प्रकाश की एक किरन के साथ अँधेरा कर दीजिये
उस अँधेरे में हवाहवाई कर दीजिये।
जब भी इनकी पोल खुलती है
कुछ दिनों बाद दूसरी पोल खुलती है
जनता न पिछला याद रख पाती हैं
न आगे का कुछ ध्यान रखती हैं,
जनता कब अपना बावलापन छोड़ेगी
कब बन्दरों की जगह इंसानों को चुनेगी
अगर हम लोग सही सांसद चुनेगें
तो न ही अन्ना के अनसन की जरूरत
और न ही केजरीवाल को राजनीति में
आने की जरुरत होगी।
याने आज आपका जन्मदिन है क्या???
ReplyDeleteशुभकामनाएं!!!
बहुत बढ़िया रचना...
अनु
Ji bilkul sahi pahchana aapne Anu ji...
DeleteThank you
happy belated budday bhai!good1
ReplyDeleteअच्छी रचना !
ReplyDeleteजन्मदिन की बधाइयाँ (Belated) !:)
~God Bless !!!
आक्रोश दर्शाते भाव .... जन्मदिन की शुभकामनायें
ReplyDeleteभाग्य लेकर ही जन्मा था मैं
ReplyDeleteइस भाग्य विधाता देश में
आज 21 वर्ष हो गए
..धीरे-धीरे वह सब कुछ भी समझ आता है जो कभी बचपन में समझने की जरुरत ही महसूस नहीं होती थी ...
बहुत सच तो यही है भाग्य के भरोसे जाने कितनी अपनी रोटियां सेंक रहे हैं ..
बहुत बढ़िया रचना ...
जन्मदिन के साथ ही नवरात्री की हार्दिक शुभकामनायें ..
बहुत ही बेहतरीन रचना...
ReplyDeleteसुन्दर...
जन्मदिन की शुभकामनाएँ...
;-)
अपने पड़ोसी (चीन जापान) दिनों दिन तरक्की करके कहाँ पहुँच गए, और तो और सिंगापुर जैसा अदना सा देश ही तरक्की के मामले में हमसे बहुत आगे हैं .
ReplyDeleteजन्मदिन की शुभकामनाएँ
एक सार्थक रचना
ReplyDeleteआपने नेताजी पर अछा प्रहार किया है अपनी लेखनी से सुन्दर
ReplyDeleteमेरे ब्लॉग मे पधारे और अपना अनुभवो को बाटे!
http://nimbijodhan.blogspot.in/
जनता कब अपना बावलापन छोड़ेगी
ReplyDeleteकब बन्दरों की जगह इंसानों को चुनेगी
....काश जनता यह समझ पाये..बहुत सुन्दर और सटीक अभिव्यक्ति...
अच्छी कोशिश रोहितास!
ReplyDeleteबिलेटेड हैप्पी बर्थ डे!
ढ़
--
ए फीलिंग कॉल्ड.....
विचारणीय भाव....
ReplyDeleteइस व्यवस्था के प्रति लोगो के आक्रोश को अपने शब्दों में व्यक्त किया
ReplyDeleteSundar abhivyakti...mere blog par aane ke liye aabhaar..
ReplyDeletebahut badhiya abhiwayakti .....
ReplyDeleteजनता कब अपना बावलापन छोड़ेगी
ReplyDeleteकब बन्दरों की जगह इंसानों को चुनेगी
...बहुत सटीक और सुन्दर अभिव्यक्ति..
अच्छा लिखते हो ...
ReplyDeleteबधाई भाई !
बहुत बढ़िया सामयिक प्रस्तुति दशहरे की शुभकामनाएं
ReplyDeleteसुन्दर अति सुन्दर मित्र, इसी तरह लिखते रहिये मेरी शुभकामनाएं आपके साथ हैं। मेरे ब्लॉग पर पधारने हेतु अनेक-2 धन्यवाद। विजयादशमी की हार्दिक शुभकामनाएं।
ReplyDeletedesh ki bhrasht rajniiti ka kaccha chuttha bahut acchhi tarah khola hai aapne...badhai!
ReplyDeleteBelated happy B'day... and very good post... :-)
ReplyDeleteमंजिल मिल ही जाती हैं उन्हें ,
ReplyDeleteजो तदबीर को मुकद्दर बना लेते हैं!
जनता कब अपना बावलापन छोड़ेगी
ReplyDeleteकब बन्दरों की जगह इंसानों को चुनेगी
अगर हम लोग सही सांसद चुनेगें
तो न ही अन्ना के अनसन की जरूरत
और न ही केजरीवाल को राजनीति में
आने की जरुरत होगी।
सही कह रहे हैं रोहितास जी आप किन्तु एक गलती कर रहे हैं यदि इस तरह ही हम अरविन्द केजरीवाल जी के अंधानुसरण में लगेंगे तो एक दिन फिर धोखा खायेंगे अरविन्द जी जो कर रहे हैं सही नहीं है मात्र आरोप लगा कर वे इन नेताओं का कुछ नहीं बिगड़ पाएंगे वैसे भी हमें इनका कुछ बिगड़ना नहीं है बल्कि अपने देश का भला करना है और इसके लिए हमें अपनी एक अलग पंक्ति कड़ी करनी होगी जैसे की विवेकानंद जी ने की थी हमें एक ऐसी पार्टी बनानी होगी और लोगों में ये विश्वास जगाना होगा की हम देश को अंधकार में नहीं जाने देंगे.
बहुत ही बेहतरीन रचना..!!
ReplyDeleteवो मुतमईन हैं की पत्थर पिघल नहीं सकता ,
ReplyDeleteमैं बेकरार हूँ आवाज के असर को |
-दुष्यंत कुमार
क्या तंज कसा है प्रिय रोहित |
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