Friday, 13 January 2012

रफ़्तार व सफ़र

सड़क पर किसी सज्जन के
कुछ दाने बिखरे थेली से  
कौन जाने कितनी मुद्दतें हुई
कुछ पंछी थे भोले-भाले से 
न कुछ सौचा न समझा  
आ बेठे बेचारे इस सड़क पर 
अब मग्न हुए चुगने में 
बिखरे हुए दानो को 
     
    फिर अचानक.....
  एक रफ़्तार

सड़क पर अब था लहू और
बिखरे हुए पंख
न थी तो वो चंद जिंदगियाँ
अब बिखर गयी जिंदगियाँ

बच्चे रफ़्तार वालो के भी हैं
बच्चे पंछी के भी,
बच्चों को इंतजार हैं की लौट के आयेंगे 
मगर अब इंतजार में हैं फर्क बड़ा
किसी का इंतजार पल भर का
तो किसी का इंतजार उम्र भर का  

ये लालच ही तो था "रोहित"
रफ़्तार को अपने घर पहुँचने का
 और पंछी को अपना पेट भरने का |  

21 comments:

  1. बहुत ही सार्थक व सटीक लेखन| मकर संक्रांति की हार्दिक शुभकामनाएँ|

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  2. रफ़्तार को अपने घर पहुँचने का
    और पंछी को अपना पेट भरने का |

    so nice ..dard

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  3. बहुत मार्मिक कविता..

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  4. बहुत सुंदर दर्द भरी रचना,लिखने का अच्छा प्रयाश इसे जारी रखे
    आपभी समर्थक बने मुझे खुशी होगी,...
    new post--काव्यान्जलि --हमदर्द-

    अपने कमेंट्स बॉक्स से ( वर्ड वेरीफिकेसन )हटा ले कमेंट्स देने में परेशानी होती है

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    1. आपकी एक अच्छी सलाह के लिए बहुत बहुत धन्यवाद....word verification मैंने हटा दी है...

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    2. bahut hii dard bhari rachna aabhar

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  5. ये लालच ही तो था "रोहित"
    रफ़्तार को अपने घर पहुँचने का
    और पंछी को अपना पेट भरने का |

    बहुत सुन्दर और सटीक...शुभकामनायें

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  6. बड़ी भावुक रचना...अच्छा प्रयास बधाई और शुभकामना

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  7. बड़ी भावुक प्रस्तुति...बधाई और शुभतामना

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  8. ये लालच ही तो था "रोहित"
    रफ़्तार को अपने घर पहुँचने का
    और पंछी को अपना पेट भरने का |

    बहुत बेहतरीन भावपूर्ण प्रस्तुति !
    आभार !

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  9. //ये लालच ही तो था "रोहित"
    रफ़्तार को अपने घर पहुँचने का
    और पंछी को अपना पेट भरने का |

    behtareen rachna sir.. bahut sundar.. :)

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  10. बहुत ही मार्मिक रचना लिखी है आपने | आपके ब्लॉग तक आना भुत अच्छी अनुभूति ........बधाई रोहित जी |

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  11. bahut hi marmik prastuti rohit jee.thanks.

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  12. वाह...
    बहुत अच्छी और दिल को छू लेने वाली रचना...

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  13. ये लालच ही तो था "रोहित"
    रफ़्तार को अपने घर पहुँचने का
    और पंछी को अपना पेट भरने का |
    ..sach lalach sabse buri bala hain..
    .. bahut hi karunabhari rachna...

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  14. संवेदनशील रचना .....

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  15. बहुत ही सुन्‍दर प्रस्‍तुति ।

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  16. लालच बुरी बला है
    बहुत ही मार्मिक प्रस्तुति है...

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  17. बहुत मार्मिक लेखन...
    संवेदनाओं से भरी....

    बहुत अच्छे....

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  18. उफ़ !! इतनी दर्नाक घटना और उस पर संवेदनशील कवी का चिंतन |
    किसी का इंतजार पल भर का
    तो किसी का इंतजार उम्र भर का बहुत मार्मिक और आँखें नम करने वाली रचना है प्रिय रोहित | खुश रहो और आगे बढ़ते रहो इन्ही संवेदनाओं के साथ | यही भावनाएं एक कवी को आम इंसान से अलग बनाती हैं |

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