सड़क पर किसी सज्जन के
कुछ दाने बिखरे थेली से
कौन जाने कितनी मुद्दतें हुई
कुछ पंछी थे भोले-भाले से
न कुछ सौचा न समझा
आ बेठे बेचारे इस सड़क पर
अब मग्न हुए चुगने में
बिखरे हुए दानो को
फिर अचानक.....
एक रफ़्तार
सड़क पर अब था लहू और
बिखरे हुए पंख
न थी तो वो चंद जिंदगियाँ
अब बिखर गयी जिंदगियाँ
बच्चे रफ़्तार वालो के भी हैं
बच्चे पंछी के भी,
बच्चों को इंतजार हैं की लौट के आयेंगे
मगर अब इंतजार में हैं फर्क बड़ा
किसी का इंतजार पल भर का
तो किसी का इंतजार उम्र भर का
ये लालच ही तो था "रोहित"
रफ़्तार को अपने घर पहुँचने का
और पंछी को अपना पेट भरने का |
बहुत ही सार्थक व सटीक लेखन| मकर संक्रांति की हार्दिक शुभकामनाएँ|
ReplyDeletesundar lekhan badhai
ReplyDeleteरफ़्तार को अपने घर पहुँचने का
ReplyDeleteऔर पंछी को अपना पेट भरने का |
so nice ..dard
बहुत मार्मिक कविता..
ReplyDeleteबहुत सुंदर दर्द भरी रचना,लिखने का अच्छा प्रयाश इसे जारी रखे
ReplyDeleteआपभी समर्थक बने मुझे खुशी होगी,...
new post--काव्यान्जलि --हमदर्द-
अपने कमेंट्स बॉक्स से ( वर्ड वेरीफिकेसन )हटा ले कमेंट्स देने में परेशानी होती है
आपकी एक अच्छी सलाह के लिए बहुत बहुत धन्यवाद....word verification मैंने हटा दी है...
Deletebahut hii dard bhari rachna aabhar
Deleteये लालच ही तो था "रोहित"
ReplyDeleteरफ़्तार को अपने घर पहुँचने का
और पंछी को अपना पेट भरने का |
बहुत सुन्दर और सटीक...शुभकामनायें
बड़ी भावुक रचना...अच्छा प्रयास बधाई और शुभकामना
ReplyDeleteबड़ी भावुक प्रस्तुति...बधाई और शुभतामना
ReplyDeleteये लालच ही तो था "रोहित"
ReplyDeleteरफ़्तार को अपने घर पहुँचने का
और पंछी को अपना पेट भरने का |
बहुत बेहतरीन भावपूर्ण प्रस्तुति !
आभार !
//ये लालच ही तो था "रोहित"
ReplyDeleteरफ़्तार को अपने घर पहुँचने का
और पंछी को अपना पेट भरने का |
behtareen rachna sir.. bahut sundar.. :)
बहुत ही मार्मिक रचना लिखी है आपने | आपके ब्लॉग तक आना भुत अच्छी अनुभूति ........बधाई रोहित जी |
ReplyDeletebahut hi marmik prastuti rohit jee.thanks.
ReplyDeleteवाह...
ReplyDeleteबहुत अच्छी और दिल को छू लेने वाली रचना...
ये लालच ही तो था "रोहित"
ReplyDeleteरफ़्तार को अपने घर पहुँचने का
और पंछी को अपना पेट भरने का |
..sach lalach sabse buri bala hain..
.. bahut hi karunabhari rachna...
संवेदनशील रचना .....
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर प्रस्तुति ।
ReplyDeleteलालच बुरी बला है
ReplyDeleteबहुत ही मार्मिक प्रस्तुति है...
बहुत मार्मिक लेखन...
ReplyDeleteसंवेदनाओं से भरी....
बहुत अच्छे....
उफ़ !! इतनी दर्नाक घटना और उस पर संवेदनशील कवी का चिंतन |
ReplyDeleteकिसी का इंतजार पल भर का
तो किसी का इंतजार उम्र भर का बहुत मार्मिक और आँखें नम करने वाली रचना है प्रिय रोहित | खुश रहो और आगे बढ़ते रहो इन्ही संवेदनाओं के साथ | यही भावनाएं एक कवी को आम इंसान से अलग बनाती हैं |