तेरी चमकती रोशनियों के नीचे
दबता सा गया
यूँ तो न जाने क्यूँ
एक तलब सी थी
तेरी चमक में खो जाने की
कोई जहाने-नौ बसाने की
तुझसे नजदीकियां बढती गयी अज़ीज़
तो मेरी परछाई रफ़्ता-रफ़्ता सिमटती गयी
आज मेरी अक्स-नक्स का
वजूद तुम्ही से हैं
मैं, तुम हूँ और
तुम से ही मैं हूँ।
By-
"रोहित"
आपकी उम्दा पोस्ट बुधवार (07-11-12) को चर्चा मंच पर | जरूर पधारें |
ReplyDeleteसूचनार्थ |
ये मेरी पोस्ट चर्चा मंच पर ....ऑह माय गॉड मैं हैरान हूँ. ये मेरी पहली पोस्ट है जो चर्चा मंच पर जारी होगी ...
Deleteआपका बहुत बहुत धन्यवाद प्रदीप जी. :)
nice
ReplyDeleteआज मेरी अक्स-नक्स का
ReplyDeleteवजूद तुम्ही से हैं
मैं, तुम हूँ और
तुम से ही मैं हूँ।
....बहुत सुन्दर भावपूर्ण रचना..
अक्स-नक्स का वजूद रौशनी से ही तो हैं
ReplyDeleteबहुत बढ़िया उम्दा प्रस्तुति,,,,,
RECENT POST:..........सागर
मेरा मुझ में कुछ न रहा
ReplyDeleteजो कुछ है वो तेरा
..... बहुत सुन्दर भाव रोहित जी!
Khoobsoorat !
ReplyDeleteतुझसे नजदिकियां बढती गयी अज़ीज़
ReplyDeleteतो मेरी परछाई रफ़्ता-रफ़्ता सिमटती गयी...
बहुत खूबसूरत आभास
वाह रोहित भाई क्या उम्दा लिखा है आपने सुन्दर अति सुन्दर मित्र
ReplyDeleteतुझसे नजदिकियां बढती गयी अज़ीज़
तो मेरी परछाई रफ़्ता-रफ़्ता सिमटती गयी
बहुत सुंदर भावपूर्ण रचना..आभार!
ReplyDelete
Deleteरोशनी तेरे नाम की
तेरी चमकती रोशनियों के निचे(neeche,नीचे )
दबता सा गया
यूँ तो न जाने क्यूँ
Image courtesy -Google.com
मेरी परछाईयों को( परछाइयों )
एक तलब सी थी
तेरी चमक में खो जाने की
कोई जहाने-नौ बसाने की
तुझसे नजदिकियां बढती गयी अज़ीज़( nazdeekiyaan, )
badhiyaa rachnaa hai .is par tippani "charchaa manch "par bhi kar chukaa hun .ek martbaa yahaan bhi .kripyaa ,spam box chek kiyaa karen .shukriyaa .
उम्दा प्रस्तुति!
ReplyDeleteआज मेरी अक्स-नक्स का
ReplyDeleteवजूद तुम्ही से हैं
मैं, तुम हूँ और
तुम से ही मैं हूँ।
bahut badhiya ......sidhe shabdon me sacchi bat...
बहुत ही बढ़ियाँ और सुन्दर रचना...
ReplyDelete:-)
भाई साहब !एक दुर्घटना लगातार घट रही है ,आभासी संवाद ही संवाद लगने लगा है .आभासी दुनिया से कटते ही आदमी असंतोष और खीझ से भरने लगा है यहाँ भारत लौटने पर यात्रा
ReplyDeleteबहुलता(बहुलता
) से
अल्पता
की ओर होती है .यहाँ आकर इंटर नेट भी सरकार की तरह लूला लंगड़ा हो जाता है .इसी अनुपात में खीझ बढती जाती है ,ख़ुशी आभासी दुनिया से जुड़ने लगी है .क्या यह सब ठीक है बहस इस पर
भी
हो असली संवाद है क्या ?
आपकी टिपण्णी हमारे ब्लॉग की शान रहे ,यही हमें अभिमान रहे .आदाब .
वाह ... बहुत ही अच्छा लिखा है
ReplyDeleteबढिया रचना और जानकारी मै देर से पढ पाया
ReplyDeleteबहुत खूब - शुभकामनाएं और आशीष
ReplyDeleteआज मेरी अक्स-नक्स का
ReplyDeleteवजूद तुम्ही से हैं
मैं, तुम हूँ और
तुम से ही मैं हूँ।
आध्यात्मिक चिंतन युक्त गहन अभिव्यक्ति
आभार !!!
आज मेरी अक्स-नक्स का
ReplyDeleteवजूद तुम्ही से हैं
मैं, तुम हूँ और
तुम से ही मैं हूँ।
बहुत सुन्दर बढ़िया भावाभिव्यक्ति वाह
तेरी चमकती रोशनियों के निचे
ReplyDeleteदबता सा गया
यूँ तो न जाने क्यूँ
Image courtesy -Google.com
मेरी परछाईयों को
एक तलब सी थी
तेरी चमक में खो जाने की
कोई जहाने-नौ बसाने की
तुझसे नजदिकियां बढती गयी अज़ीज़
तो मेरी परछाई रफ़्ता-रफ़्ता सिमटती गयी
आज मेरी अक्स-नक्स का
वजूद तुम्ही से हैं
मैं, तुम हूँ और
तुम से ही मैं हूँ।
(नजदीकियां ,परछाइयाँ )दोस्त बढ़िया रचना है .
बहु वचन में ईकारांत (ई )का इकारांत (इ )हो जाता है .दवाई से दवाइयां ,मिठाई से मिठाइयां आदि .
वीरेन्द्र जी ऐसे ही सुधार करवाते रहियेगा और जानकारियाँ देते रहिएगा ....की इसकी महती आवश्यकता हैं मुझे।
Deleteबहुत बहुत धन्यवाद !!
Neeraj Goswami Ji ( by Gmail )... ask
ReplyDeleteरोहिताश जी बहुत अच्छा प्रयास है,,,अलग हट के भी है,,,पहली पंक्ति में निचे की जगह नीचे कर लें,,,बाकि ठीक है,,,लिखते रहें.
वाह ... बहुत ही बढिया।
ReplyDeleteआज मेरी अक्स-नक्स का
ReplyDeleteवजूद तुम्ही से हैं (है )
मैं, तुम हूँ और
तुम से ही मैं हूँ।दोस्त आपके पोजिटिव होने रहने से मुझे भी बल मिला है परस्पर एक दूसरे से ही सीखना पल्लवित होना है ब्लॉग परिवार में .वजूद है आयेगा वजूद "हैं "नहीं .मोहब्बतें होती हैं ,मोहब्बत होती है .बहन जी जाती हैं आदर सूचक है ,"हैं "यहाँ .
सुन्दर रचना |
ReplyDeleteसादर
बहुत सुन्दर****^^^^**** आज मेरी अक्स-नक्स का
ReplyDeleteवजूद तुम्ही से हैं
मैं, तुम हूँ और
तुम से ही मैं हूँ।
....गागर में सागर !
ReplyDelete.
.
.शुभकामनाएं
भावो को खुबसूरत शब्द दिए है अपने.....
ReplyDeleteआज मेरी अक्स-नक्स का
ReplyDeleteवजूद तुम्ही से हैं
मैं, तुम हूँ और
तुम से ही मैं हूँ।
किसी के वजूद में एकाकार होने की भावपूर्ण अभिव्यक्ति प्रिय रोहित | आज बहुत रचनाये पढ़ी | फुर्सत में आई | अच्छा लगा | खुश रहो |