Friday 30 November 2012

प्यासी नज़र 3

Image courtesy -Google.com
दरिया की मोहब्बत तो देखो
इस मौसमी बरसात से
बरस के बरखा चली गयी
 दरिया किनारों से उफन आई।

कुछ दिन बरखा आने की आश में
मंद मंद बहती रही
एक ऋतु का अंत हुआ
अब तली उसकी पत्थरा सी गयी
और दरारों का फटना शरु हुआ ..
              ("इंतजार")


           By:-  
       ~ रोहित ~

 

प्यासी नजर

प्यासी नज़र-2

25 comments:

  1. ये तंत्र भी ऐसे ही लोक को (आम आदमी को )छल रहा है जैसे नदी को छला छलिया बरसात ने ."मेरा घर छोड़ के कुल शहर में बरसात हुई /कल रात ज़िन्दगी से कुछ यूं मुलाक़ात हुई "बढ़िया बिम्ब रचें हैं रचना ने .

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  2. गहन अभियक्ति मित्र उम्दा रचना
    अब तली उसकी पत्थरा सी गयी
    और दरारों का फटना शरु हुआ .

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  3. अच्छा लिखते ही आप..
    मैने भी ब्लोग शुरू लिया है ,,,आपकी राय जानना चाहुंगा
    http://vishvnathdobhal.blogspot.in/

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  4. vaah..bahut sunadar prateekatmakta prastut kii hai aapne!

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  5. अब तली उसकी पत्थरा सी गयी
    और दरारों का फटना शरु हुआ,,,,उम्दा अभिव्यक्ति,,,

    .resent post : तड़प,,,

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  6. .बहुत सुन्दर भाव अभिव्यक्ति .बधाई -[कौशल] आत्महत्या -परिजनों की हत्या [कानूनी ज्ञान ]मीडिया को सुधरना होगा

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  7. गहन भाव लिए सुन्दर अभिव्यक्ति...

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  8. फिर इंतज़ार की घड़ियाँ शुरू हुईं......
    अच्छी रचना!
    ~God Bless!!!

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  9. अच्छी, संवेदनाएं लिए पंक्तियाँ, सुन्दर है भाई .. निश्चित फॉलो करूँगा ..

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  10. bahut badiya.... main aapke blog se pahle se hi join hun..

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  11. फटी दरारें दिल सरिस, प्रेम-पावसी बीत ।

    पड़ी फुहारें देह पर, गई आज सब रीत ।

    गई आज सब रीत, रीत है बड़ी पुरानी ।

    समय-चक्र की जीत, बदलती रहे कहानी ।

    गर्मी वर्षा शीत, बरसते घन कजरारे ।

    शीत-युद्ध सी लहर, दिखें फिर फटी दरारें ।।

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  12. ये दरिया की पुरनूर मोहब्बत है..,

    या के कतरों की नज़रे-इनायत..,

    इस कदर बेवफा ने रू-गिर्दाई की..,

    दरक रही है दिल-ए-रु-ए ज़मीं.....

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  13. बहुत सुन्दर भावनात्मक प्रस्तुति रोहित जी .......बधाई

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  14. दरिया किनारों से उफन आई।

    कुछ दिन बरखा आने की आश में
    मंद मंद बहती रही
    एक ऋतु का अंत हुआ
    अब तली उसकी पत्थरा सी गयी
    और दरारों का फटना शरु हुआ ..

    ये आस भी आखिर में छोड़ जाती है दरिया की तरह ज़िन्दगी को .

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  15. शुक्रिया दोस्त आपकी टिपण्णी ही हमारे लेखन की आंच है .धार बन जाती है .

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  16. बहुत बढ़िया रचना

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  17. कल इस सुन्दर प्रविष्टि की चर्चा राजेश कुमारी द्वारा चर्चा मंच पर की जायेगी आपका स्वागत है

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    1. आपका बहुत बहुत धन्यवाद राजेश जी

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  18. बहुत अद्भुत अहसास...सुन्दर प्रस्तुति बहुत ही अच्छा लिखा आपने .बहुत ही सुन्दर रचना.बहुत बधाई आपको .

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  19. जीवन इंतजार ही है.सुंदर रचना

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  20. इन्तेजार .....
    कभी पलों का तो कभी सदियों का |

    सादर

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