wanna be a writer and Poet. "I'm gonna fall in love with you. You don't have to love me back, just let me love you."
ये तंत्र भी ऐसे ही लोक को (आम आदमी को )छल रहा है जैसे नदी को छला छलिया बरसात ने ."मेरा घर छोड़ के कुल शहर में बरसात हुई /कल रात ज़िन्दगी से कुछ यूं मुलाक़ात हुई "बढ़िया बिम्ब रचें हैं रचना ने .
गहन अभियक्ति मित्र उम्दा रचना अब तली उसकी पत्थरा सी गयीऔर दरारों का फटना शरु हुआ .
अच्छा लिखते ही आप..मैने भी ब्लोग शुरू लिया है ,,,आपकी राय जानना चाहुंगा http://vishvnathdobhal.blogspot.in/
vaah..bahut sunadar prateekatmakta prastut kii hai aapne!
अब तली उसकी पत्थरा सी गयीऔर दरारों का फटना शरु हुआ,,,,उम्दा अभिव्यक्ति,,, .resent post : तड़प,,,
.बहुत सुन्दर भाव अभिव्यक्ति .बधाई -[कौशल] आत्महत्या -परिजनों की हत्या [कानूनी ज्ञान ]मीडिया को सुधरना होगा
गहन भाव लिए सुन्दर अभिव्यक्ति...
फिर इंतज़ार की घड़ियाँ शुरू हुईं......अच्छी रचना!~God Bless!!!
अच्छी, संवेदनाएं लिए पंक्तियाँ, सुन्दर है भाई .. निश्चित फॉलो करूँगा ..
badhiya likha hai
bahut badiya.... main aapke blog se pahle se hi join hun..
फटी दरारें दिल सरिस, प्रेम-पावसी बीत ।पड़ी फुहारें देह पर, गई आज सब रीत । गई आज सब रीत, रीत है बड़ी पुरानी ।समय-चक्र की जीत, बदलती रहे कहानी ।गर्मी वर्षा शीत, बरसते घन कजरारे ।शीत-युद्ध सी लहर, दिखें फिर फटी दरारें ।।
ये दरिया की पुरनूर मोहब्बत है..,या के कतरों की नज़रे-इनायत..,इस कदर बेवफा ने रू-गिर्दाई की..,दरक रही है दिल-ए-रु-ए ज़मीं.....
बहुत सुन्दर भावनात्मक प्रस्तुति रोहित जी .......बधाई
दरिया किनारों से उफन आई।कुछ दिन बरखा आने की आश मेंमंद मंद बहती रहीएक ऋतु का अंत हुआअब तली उसकी पत्थरा सी गयीऔर दरारों का फटना शरु हुआ ..ये आस भी आखिर में छोड़ जाती है दरिया की तरह ज़िन्दगी को .
शुक्रिया दोस्त आपकी टिपण्णी ही हमारे लेखन की आंच है .धार बन जाती है .
अच्छी रचना.
बहुत बढ़िया रचना
कल इस सुन्दर प्रविष्टि की चर्चा राजेश कुमारी द्वारा चर्चा मंच पर की जायेगी आपका स्वागत है
आपका बहुत बहुत धन्यवाद राजेश जी
बहुत अद्भुत अहसास...सुन्दर प्रस्तुति बहुत ही अच्छा लिखा आपने .बहुत ही सुन्दर रचना.बहुत बधाई आपको .
वाह..बहुत खूब
जीवन इंतजार ही है.सुंदर रचना
इन्तेजार ..... कभी पलों का तो कभी सदियों का |सादर
bahut khoob...
ये तंत्र भी ऐसे ही लोक को (आम आदमी को )छल रहा है जैसे नदी को छला छलिया बरसात ने ."मेरा घर छोड़ के कुल शहर में बरसात हुई /कल रात ज़िन्दगी से कुछ यूं मुलाक़ात हुई "बढ़िया बिम्ब रचें हैं रचना ने .
ReplyDeleteगहन अभियक्ति मित्र उम्दा रचना
ReplyDeleteअब तली उसकी पत्थरा सी गयी
और दरारों का फटना शरु हुआ .
अच्छा लिखते ही आप..
ReplyDeleteमैने भी ब्लोग शुरू लिया है ,,,आपकी राय जानना चाहुंगा
http://vishvnathdobhal.blogspot.in/
vaah..bahut sunadar prateekatmakta prastut kii hai aapne!
ReplyDeleteअब तली उसकी पत्थरा सी गयी
ReplyDeleteऔर दरारों का फटना शरु हुआ,,,,उम्दा अभिव्यक्ति,,,
.resent post : तड़प,,,
.बहुत सुन्दर भाव अभिव्यक्ति .बधाई -[कौशल] आत्महत्या -परिजनों की हत्या [कानूनी ज्ञान ]मीडिया को सुधरना होगा
ReplyDeleteगहन भाव लिए सुन्दर अभिव्यक्ति...
ReplyDeleteफिर इंतज़ार की घड़ियाँ शुरू हुईं......
ReplyDeleteअच्छी रचना!
~God Bless!!!
अच्छी, संवेदनाएं लिए पंक्तियाँ, सुन्दर है भाई .. निश्चित फॉलो करूँगा ..
ReplyDeletebadhiya likha hai
ReplyDeletebahut badiya.... main aapke blog se pahle se hi join hun..
ReplyDeleteफटी दरारें दिल सरिस, प्रेम-पावसी बीत ।
ReplyDeleteपड़ी फुहारें देह पर, गई आज सब रीत ।
गई आज सब रीत, रीत है बड़ी पुरानी ।
समय-चक्र की जीत, बदलती रहे कहानी ।
गर्मी वर्षा शीत, बरसते घन कजरारे ।
शीत-युद्ध सी लहर, दिखें फिर फटी दरारें ।।
ये दरिया की पुरनूर मोहब्बत है..,
ReplyDeleteया के कतरों की नज़रे-इनायत..,
इस कदर बेवफा ने रू-गिर्दाई की..,
दरक रही है दिल-ए-रु-ए ज़मीं.....
बहुत सुन्दर भावनात्मक प्रस्तुति रोहित जी .......बधाई
ReplyDeleteदरिया किनारों से उफन आई।
ReplyDeleteकुछ दिन बरखा आने की आश में
मंद मंद बहती रही
एक ऋतु का अंत हुआ
अब तली उसकी पत्थरा सी गयी
और दरारों का फटना शरु हुआ ..
ये आस भी आखिर में छोड़ जाती है दरिया की तरह ज़िन्दगी को .
शुक्रिया दोस्त आपकी टिपण्णी ही हमारे लेखन की आंच है .धार बन जाती है .
ReplyDeleteअच्छी रचना.
ReplyDeleteबहुत बढ़िया रचना
ReplyDeleteकल इस सुन्दर प्रविष्टि की चर्चा राजेश कुमारी द्वारा चर्चा मंच पर की जायेगी आपका स्वागत है
ReplyDeleteआपका बहुत बहुत धन्यवाद राजेश जी
Deleteबहुत अद्भुत अहसास...सुन्दर प्रस्तुति बहुत ही अच्छा लिखा आपने .बहुत ही सुन्दर रचना.बहुत बधाई आपको .
ReplyDeleteवाह..बहुत खूब
ReplyDeleteजीवन इंतजार ही है.सुंदर रचना
ReplyDeleteइन्तेजार .....
ReplyDeleteकभी पलों का तो कभी सदियों का |
सादर
bahut khoob...
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