न जाने लोग,
कैसे लिख पाते हैं अपने भावों को
जब रहता हूँ नितान्त अकेला
कभी सिरहन सी,कभी मुस्कान सी
बस बहता हूँ भावों में
कलम को तो जैसे
किसी ने बांध दिया हो
एक बाढ़ सब कुछ बहाकर ले जाती है
वो शब्द, वो गहराइयाँ
बाद में रहता है
कोरा काग़ज, ताकती सी कलम
कुछ निशानों को
फिर लगता है कि
तुम में ये कला है ही नहीं
हकीकत सी, वास्तव सी।
कैसे लिख पाते हैं अपने भावों को
जब रहता हूँ नितान्त अकेला
कभी सिरहन सी,कभी मुस्कान सी
बस बहता हूँ भावों में
कलम को तो जैसे
किसी ने बांध दिया हो
एक बाढ़ सब कुछ बहाकर ले जाती है
वो शब्द, वो गहराइयाँ
बाद में रहता है
कोरा काग़ज, ताकती सी कलम
कुछ निशानों को
फिर लगता है कि
तुम में ये कला है ही नहीं
हकीकत सी, वास्तव सी।
सुन्दर प्रस्तुति -
ReplyDeleteआभार आदरणीय-
bahut sundar bhav prastuti
Deleteवह बहुत सुन्दर..
ReplyDeleteबहा कर ले जाने के बाद भी कुछ है जो बचा रहता है..वही तो उतरता है कागज पर...छन के आता है जो भावों की छलनी में..
ReplyDelete.बहुत सुन्दर भावनात्मक अभिव्यक्ति .सच्चाई को शब्दों में बखूबी उतारा है आपने आभार तवज्जह देना ''शालिनी'' की तहकीकात को ,
आप भी जानें संपत्ति का अधिकार -४.नारी ब्लोगर्स के लिए एक नयी शुरुआत आप भी जुड़ें WOMAN ABOUT MAN लड़कों को क्या पता -घर कैसे बनता है ...
भावो को खुबसूरत शब्द दिए है अपने.....
ReplyDeleteब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन नहीं रहे कंप्यूटर माउस के जनक डग एंजेलबर्ट - ब्लॉग बुलेटिन मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
ReplyDeleteबहुत खूब यहाँ भी पधारे ,
ReplyDeletehttp://shoryamalik.blogspot.in/2013/07/blog-post_5.html
भाव को अच्छे से बाँधा है ...
ReplyDeleteकाव्य का यथार्थ
ReplyDeleteआपकी रचनाशीलता / आपका कवि मन / आपके सृजन का पलक इतना विस्तृत है कि कोई ऒर छोर नहीं नजर आता ........
भावों के सैलाब का क्रमिक तरतीबवार प्रवाह ही लेखन है अलबत्ता भाव हैं तो लिखा ज़रूर जाएगा
ReplyDelete.कई तो होते ही निर्भाव हैं .
खुबसूरत शब्द बहुत अच्छी रचना
ReplyDeleteकविता भावपूर्ण है और साथ दिया चित्र भी प्रभावी.
ReplyDeletevery true....excellent.
ReplyDeleteबाढ़ में बह जाने के बाद जो कुछ बच जाता है उसी से तो कविता जन्मती है... बहुत सुन्दर. बधाई.
ReplyDeleteउम्दा प्रस्तुति ...
ReplyDeleteरोहितास जी ...
बहुत बढ़िया है लेखन
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति !
ReplyDeleteसुन्दर शब्दों से सजी रचना. ............
ReplyDeleteहै तो ये कला..... :)
ReplyDeleteवैसे भावों को शब्दों का साथ सरलता से नहीं मिलता |
ReplyDeleteYOU HAVE INFINITE POTENTIAL .YOU HAVE TO WRITE REGULARLY YOUR FRUSTATIONS AND ASPIRATIONS FROM THE SYSTEM .GOD BLESS YOU THANKS FOR YOUR COMMENTS .
उम्दा और बेहतरीन प्रस्तुति के लिए आपको बहुत बहुत बधाई...
ReplyDeleteनयी पोस्ट@जब भी सोचूँ अच्छा सोचूँ
सुन्दर भाव!
ReplyDeleteBhaawpurn abhivyakti....
ReplyDeletenishbdta kuchh khte hue
ReplyDeleteसड़क