माफ़ करना आप लोगों से एक सवाल हैं, क्या आप ज़ज्बात की गहराइयों में आँखे बंद कर बिना किसी हलचल के उतरें हैं? मैं जानता हूँ कि गहराइयाँ हमेशा डराती हैं पर जब आप 'गुरूजी' की गहराइयों में उतरेंगे तो जो आपको मिलेगा वो स्वाति नक्षत्र का मोती नहीं वो रत्न मिलेगा जिसे पाकर आप उन गहराइयों में ही डुबे रहना पसंद करेंगे।
अकेले रहते हैं पर सबके साथ रहते हैं क्योंकि इनका स्वभाव अन्तर्मुखी है। इसलिए इन्हें ब्लॉग जगत तक लाने में बहुत जतन करने पड़े।
उनके ब्लॉग व प्रथम पोस्ट का लिंक Anil Dayama 'Ekla' , : माँ
विनती:
मैं 'चर्चा मंच' , 'नई-पुरानी हलचल' व 'ब्लॉग बुलेटिन' से प्राथना करता हूँ कि कृपया करके इनके ब्लॉग का लिंक अपने ब्लॉग पर डालें ताकि ज्यादा से ज्यादा लोगों तक इनकी रचनाएँ पहुँच पाए।
"आभार"
अकेले रहते हैं पर सबके साथ रहते हैं क्योंकि इनका स्वभाव अन्तर्मुखी है। इसलिए इन्हें ब्लॉग जगत तक लाने में बहुत जतन करने पड़े।
उनके ब्लॉग व प्रथम पोस्ट का लिंक Anil Dayama 'Ekla' , : माँ
विनती:
मैं 'चर्चा मंच' , 'नई-पुरानी हलचल' व 'ब्लॉग बुलेटिन' से प्राथना करता हूँ कि कृपया करके इनके ब्लॉग का लिंक अपने ब्लॉग पर डालें ताकि ज्यादा से ज्यादा लोगों तक इनकी रचनाएँ पहुँच पाए।
"आभार"
sarthak pahal ki hai aapne.best of luck .
ReplyDeleteआपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टि की चर्चा कल मंगलवार १६ /४/ १३ को चर्चा मंच पर राजेश कुमारी द्वारा की जायेगी आपका वहां स्वागत है ।
ReplyDeleteअनिल दायमा 'एकला'जी से परिचय कराने के लिए बहुत२ आभार,रोहितास जी,,,
ReplyDeleteRecent Post : अमन के लिए.
रोहितास शुक्रिया परिचय करने के लिए
ReplyDeleteअनिल दायमा आपका स्वागत है
'मैया का चोला'[लखबीर सिंह लख्खा]
स्वागत है अनिल जी का ब्लॉग जगत में ...
ReplyDeleteMilwane ke iye Thanks :)
ReplyDeleteइनकी प्रथम रचना मैंने पढ़ी है। बहुत ही भावनात्मक रचना प्रस्तुत की थी।
ReplyDeleteनये लेख : "चाय" - आज से हमारे देश का राष्ट्रीय पेय।
भारतीय रेलवे ने पूरे किये 160 वर्ष।
आपको यह बताते हुए हर्ष हो रहा है के आपकी यह विशेष रचना को आदर प्रदान करने हेतु हमने इसे आज के (२८ अप्रैल, २०१३) ब्लॉग बुलेटिन - इंडियन होम रूल मूवमेंट पर स्थान दिया है | हार्दिक बधाई |
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