Tuesday, 13 September 2011

Desh Ke Naam

कौन भुला है वह खुनी मंजर 
जो याद दिलाने फिर चले आये,

मुंबई के जख्म अभी भरे नही
की दिल्ली का दिल दहलाने फिर  चले आये,

ओर कहीं तो चली नही 
की लौट के भारत फिर चले आये,

नेता जी को भनक लगी की ब्लास्ट हुआ है दिल्ली में
की झूटी हमदर्दी दिखाने फिर चले आये,

सौचा था की  देश के कुछ नाम लिखूं 
आँखों में अस्क फिर चले आये,

 इस देश से कहाँ चले गये वो 'रोहित' 
भगत आजाद, की जरूरत है उनकी, फिर चले आये |

2 comments:

  1. बहुत बढ़िया रोहितास जी


    सादर

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  2. इस देश से कहाँ चले गये वो 'रोहित'
    खोजो उन्हें
    पकड़कर लाओ
    उन ईमानदारों को
    जो खाते हैं कमाकर
    नहीं खाते वो
    देश बेचकर
    खुद्दार हैं वो
    आज जरूरत है उनकी
    इन्तजार है उनका
    हमारे देश को

    सादर

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