Monday, 26 September 2011

तमन्ना व शपथ



तुम ज्वाला हो तो मै बर्फ हूँ
तुम्हारे पास से गुजरूँ तो पिंघल जाऊँ,

तुम फूल हो तो मै पत्थर दिल हूँ
अगर तुम चाहो तो खुसबू भी बन जाऊँ,

तुम बारिश हो तो मै सूखी दरिया हूँ
बारिश कभी ऐसी हो की किनारों से उफ़न जाऊँ,


तुम इसी तरह विपरीत मेरे बने रहो
जीतने की आदत है मेरी तुझे जीतता चला जाऊँ, 

तुम हवा हो तो मै बादल बनने की तमन्ना हूँ
की बिन तेरे एक कदम भी न चल पाऊँ,

तुम दुरी हो तो मै रफ़्तार हूँ
की तमन्ना नही तुझसे दूर चला जाऊँ,

तुम अक्ष हो तो मै आंसू हूँ
गम या ख़ुशी साथ न छोड़ू दोनों में चला आऊँ,

क्यूँ  तुं अपने चहरे पर गुमान करती है 'रोहित'
मै तेरे दिल को पहचानता हूँ और इसी पर मरता चला जाऊँ |

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