वो परिंदा उड़ नहीं पा रहा था
दौड़े जा रहा था दौड़े जा रहा था।
अचानक पंख फैले और ठहर गया
थक गया वो, अब मरा वो अब मरा।
कभी चोंच राह की गर्द में दब जाती
कभी थके पाँव लड़खड़ाते
कंकड़ पत्थर की राहों से चोट खाकर
खून से लथपथ परिंदा अब ठहर गया।
इतने में शिकारियों ने उसे घेर लिया
"मंजरे-कातिल-तमाशबीन बनकर कुछ लोग ठहर गये
देखूं तो इंसानियत के मायने बदल गऐ।"
तभी सर्द फिजां में गजब हो गया
परिंदे ने पहली उड़ान भरी
और खून के छींटे
उन सभी के मुंह पर दे मारे।
By : "रोहित"
दौड़े जा रहा था दौड़े जा रहा था।
अचानक पंख फैले और ठहर गया
थक गया वो, अब मरा वो अब मरा।
कभी चोंच राह की गर्द में दब जाती
कभी थके पाँव लड़खड़ाते
खून से लथपथ परिंदा अब ठहर गया।
इतने में शिकारियों ने उसे घेर लिया
"मंजरे-कातिल-तमाशबीन बनकर कुछ लोग ठहर गये
देखूं तो इंसानियत के मायने बदल गऐ।"
तभी सर्द फिजां में गजब हो गया
परिंदे ने पहली उड़ान भरी
और खून के छींटे
उन सभी के मुंह पर दे मारे।
By : "रोहित"