लेन-देन की किताब ना रख।
सामने समन्दर है तो! लेकिन पानी-पानी
प्यासे के काम न आये ऐसा आब ना रख।
ये सज़ा जो तूने पाई है, खैरात में बाँट
तेजाब से जले चहरे पर नकाब ना रख
होगी किसी मजबूरी के तहत बेवाफईयाँ
तेजाब से जले चहरे पर नकाब ना रख
होगी किसी मजबूरी के तहत बेवाफईयाँ
तू उसे सोचते वक्त नियत खराब ना रख
हर शाम वो अंदर से निकल कर सामने बैठती है
हाथ पकडती है और कहती है ये बाब ना रख
अभी थी वो यहाँ,यहाँ नहीं है अब; वहां है क्या वहाँ है?
अब तो गुजर चूका हूँ मै ए सहरा अब तो सराब ना रख
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"रोहित"
बाब =संबंध, सराब = मरीचिका