आओ ना
बातें करें
कुछ इसकी
कुछ तेरे दिल की
खुल कर-
जैसे गहराई से
सच्चाई आती है,
कुछ इशारों में हो-
छुपम छुपाई सी बाते
जैसे मोहब्बत होती है।
हाँ
वही तो हो गयी है तुमसे
बेइंतहां
मुश्किल है जरा
बातों में बांधना-
दया के पात्र बने हैं
शब्दकोश यहां।
दुनियां के मेलों से दूर
मिलो कोई शाम और
जिसका साक्षी हो-
डूबता सूरज भी,
किरण पहली भी।
देखते रहें हम हमें
खोकर
कि दुनियां के शोरशराबे
हो जाये तब्दील सन्नाटों में
जो इस कदर असर करे
हमारे इश्क पर
तुम चुप रहो,मैं चुप रहूं।
by-
ROHIT
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