Wednesday, 21 February 2024

तुम हो तो हूँ

तेरे बाद 
ये शांत पते यूँ ही आँधियों में फड़फड़ाते रहेंगे 
तेरे बाद 
ये शांत नदी बरसात के दिनों यूँ ही शोर मचाती रहेगी 
तेरे बाद 
किसी कच्चे रस्ते की धूल सफ़ेद पोशाकों पर पड़ती रहेगी 

तेरे बाद 
गाँव के नुक्क्ड़ों पर ताश की बाजियां 
चार लोगों की हथाइयाँ 
भूख मारने को भिनभिनाते लोग
गिले-शिकवों में यूँ ही बसती रहेगी बेबसी  
कुछ भी तो न ठहरेगा 

मैं शांति के इस उद्धण्ड स्वभाव को कोसता हुआ 
नदी के किनारे से उठ कर 
मिटटी से सनी सफ़ेद पोशाक पहने 
कच्चे रस्ते पर चल दूंगा 
समाज के सारे दायरे तोड़ दूंगा 
तेरे बाद...  
                                     By- Rohit

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